सब-ब्रोकर बनने के लिए एजुकेशनल एलिजिबिलिटी (10+2), फाइनेंशियल मार्केट नॉलेज, टेक्नोलॉजी में परिपूर्ण, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, आपकी उम्र लगभग (21+) होनी चाहिए और आपका एक अच्छा फाइनेंशियल रिकॉर्ड भी होना चाहिए।
शेयर बाजार में सब ब्रोकर बनने के लिए आप कम से कम 12वीं पास होने चाहिए और ट्रेडिंग टर्मिनल को संचालित करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सिक्योरिटीज़ मार्केट्स (NIOSM) एग्जाम पास करना बहुत ही जरूरी है इसके अलावा आपके पास हो सके तो फाइनेंशियल और शेयर मार्केट का नॉलेज अवश्य होना चाहिए। दो प्रकार के सब ब्रोकर बन सकते हैं Discount broker (जैसे ज़ेरोधा और एंजेल वन) और Full-time Service Broker (जैसे मोतीलाल ओसवाल और शेर खान)।
आजकल ज्यादातर सब ब्रोकर ऑनलाइन और ऑफलाइन Discount broker रेफ़रल मॉडल का पालन करते हैं जिसमें वह विभिन्न प्रकार के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर और लोकल मार्केट में क्लाइंट को रेफर करके इंसेंटिव कमाते हैं।
शेयर मार्केट में सब ब्रोकर बनकर लोग आज के समय लाखों रुपए कमा रहे हैं तो ऐसे में अगर आप भी जानना चाहते हैं कि शेयर मार्केट में सब ब्रोकर कैसे बने ? sub broker kaise bane, सब ब्रोकर की सैलरी कितनी होती है क्या-क्या काम करने पड़ते हैं चलिए विस्तार से जानते हैं
सब-ब्रोकर कौन है – sub broker kya hota hai
सब-ब्रोकर कोई भी एक व्यक्ति या संस्था हो सकता है जो नए-नए निवेशक और व्यक्तियों के लिए ट्रेडिंग(Trading) एक्टिविटीयों को सुविधाजनक बनाने के लिए स्टॉक ब्रोकर(Stock Broker) के साथ पार्टनरशिप करता है। वे एक्सचेंज के साथ ऑफिशल और Registered होते हैं, जिससे उन्हें स्टॉक मार्केट(Share market) में काम करने में मदद मिलती है।
सब-ब्रोकर दो प्राथमिक मॉडल के तहत काम कर सकते हैं: एक Basic referral model या एक ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप।
रेफरल मॉडल में, वे ब्रोकर के प्लेटफ़ॉर्म पर दोस्तों और परिवार को रेफ़र करके Incentive और रिफेरल बोनस कमाते हैं। ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप में अधिक प्रतिबद्धता शामिल है, जिसके लिए office सेटअप, Goal achievement और संभावित रूप से आपको पहले ही फाइनेंशियल नॉलेज की आवश्यकता होती है।
यह मॉडल ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत प्रदान करता है, लेकिन सख्त नियम और शर्तों के साथ भी आता है। सब-ब्रोकर ब्रोकर के क्लाइंट बेस का विस्तार करने और ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सब ब्रोकर का मतलब क्या है? – sub broker meaning in hindi
सब ब्रोकर का मतलब शेयर मार्केट में लाल होता है जो किसी भी स्टॉक मार्केट ब्रोकर नीचे एजेंट के तौर पर कार्य करता है, या हो सकता है किसी भी शेयर मार्केट ब्रोकर के साथ में ऑफिशियल बिजनेस पार्टनर के तौर पर कार्य करता है
सब-ब्रोकर बनने के लिए ज़रूरतें हैं – sub broker requirements in hindi
सब-ब्रोकर बनने के लिए ज़रूरतें विशिष्ट मॉडल (रेफ़रल या ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप) और स्टॉकब्रोकर के आधार पर अलग-अलग होती हैं, लेकिन आम तौर पर इसमें ये शामिल हैं:
- एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन: ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप के लिए यह अनिवार्य है।
- 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना: मिनिमम एजुकेशनल एलिजिबिलिटी आवश्यक है।
- NIOSM परीक्षा: ट्रेडिंग टर्मिनल के संचालन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सिक्योरिटीज़ मार्केट्स (NIOSM) परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
- ऑफ़िस सेटअप: ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप के लिए, कंप्यूटर सिस्टम, इंटरनेट और डीलिंग टीम के साथ एक समर्पित ऑफ़िस स्पेस की आवश्यकता होती है।
- सिक्योरिटी डिपॉज़िट: अलग-अलग ब्रोकर द्वारा ₹50,000 से लेकर ₹3 लाख तक की वापसी योग्य Security Deposit राशि की आवश्यकता होती है।
- अनुभव: हमेशा अनिवार्य नहीं होते हुए भी, ब्रोकिंग उद्योग में पूर्व अनुभव या बाज़ार की अच्छी समझ फ़ायदेमंद हो सकती है।
- कम्युनिकेशन स्किल: बेहतर शर्तों, जैसे कि ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत या कम Security Deposit, के लिए कंपनी के साथ बातचीत करने की क्षमता महत्वपूर्ण है।
- क्लाइंट सोर्सिंग: सब-ब्रोकर के रूप में Success के लिए Active रूप से क्लाइंट सोर्सिंग और ऑनबोर्डिंग आवश्यक है, चाहे आपने कोई भी मॉडल चुना हो। इनके अलावा, कुछ ब्रोकर एक्स्ट्रा आवश्यकताएँ रख सकते हैं या फ्लेक्सिबल ऑप्शन प्रदान कर सकते हैं, जैसे सब-ब्रोकर को बिना किसी office के काम करने की अनुमति देना या प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना।
सब-ब्रोकर कैसे बनें – sub broker kaise bane
सब-ब्रोकर बनने के लिए, आप दो प्राथमिक मॉडलों में से चुन सकते हैं: एक बुनियादी रेफ़रल मॉडल या एक ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप।
रेफ़रल मॉडल सब ब्रोकर
इस मॉडल में, आप मुख्य रूप से मोबाइल ऐप के माध्यम से ब्रोकर के प्लेटफ़ॉर्म पर दोस्तों और परिवार को रेफ़र करते हैं। सफल रेफ़रल के लिए आपको कैश Incentive या पॉइंट मिलते हैं।
यह मॉडल कम प्रतिबद्ध है और इसके लिए एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन या समर्पित office सेटअप की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत अपेक्षाकृत कम (लगभग 10-20%) है।
ऑफिशियल बिजनेस पार्टनरशिप:
इस मॉडल में गहरी प्रतिबद्धता शामिल है और यह ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत (60-70% तक) प्रदान करता है। आवश्यकताओं में शामिल हैं:
- एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन: आपको एक्सचेंज के साथ ऑफिशल और Registered होना चाहिए।
- शैक्षणिक योग्यता: 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करना आम तौर पर अनिवार्य है।
- NIOSM परीक्षा: ट्रेडिंग टर्मिनल के संचालन के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ सिक्योरिटीज़ मार्केट्स (NIOSM) परीक्षा पास करना आवश्यक है।
- ऑफिस सेटअप: कंप्यूटर सिस्टम, इंटरनेट और एक डीलिंग टीम के साथ एक समर्पित office स्थान की आवश्यकता होती है।
- Security Deposit: विभिन्न ब्रोकर्स को ₹50,000 से लेकर ₹3 लाख तक की वापसी योग्य Security Deposit की आवश्यकता होती है।
- अनुभव: ब्रोकिंग उद्योग में पिछला अनुभव लाभकारी हो सकता है।
- क्लाइंट सोर्सिंग: क्लाइंट को Active रूप से सोर्स करना और उन्हें जोड़ना Success के लिए महत्वपूर्ण है।
सब ब्रोकर बनते समय ध्यान देने वाली बातें
- कंपनी के साथ बातचीत करें: बेहतर शर्तें हासिल करने की कोशिश करें, जैसे कि ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत या कम Security Deposit।
- नियम और शर्तों को समझें: ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत,अकाउंट ओपन करने के टारगेट और अन्य Relevant policies सहित समझौते की सावधानीपूर्वकReview करें।
- सही ब्रोकर चुनें: पार्टनर के लिए ब्रोकर चुनते समय ब्रोकरेज शेयरिंग, सपोर्ट और फैसिलिटी जैसे कारकों पर विचार करें।
याद रखें, एक सफल सब-ब्रोकर बनने के लिए समर्पण, बाजार की समझ और Active क्लाइंट acquisition प्रयासों की आवश्यकता होती है।
सब-ब्रोकर इनकम कितनी होती है? – sub broker income in hindi
सब-ब्रोकर विभिन्न चैनलों के माध्यम से इनकम अर्जित कर सकते हैं, मुख्य रूप से ब्रोकरेज शेयरिंग और एक्स्ट्रा Incentive के माध्यम से। यहाँ इनकम संरचना का विवरण दिया गया है:
ब्रोकरेज शेयरिंग:
सब-ब्रोकर को अपने ग्राहकों के ट्रेडों द्वारा उत्पन्न ब्रोकरेज का एक प्रतिशत प्राप्त होता है। यह प्रतिशत ब्रोकर और विशिष्ट Partnership मॉडल के आधार पर भिन्न होता है। सामान्य तौर पर, Discount broker Full-time Service Broker (60-75%) की तुलना में कम ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत (10-20%) प्रदान करते हैं।
रेफ़रल Incentive:
कई ब्रोकर नए ग्राहकों को रेफ़र करने के लिए कैश Incentive या अंक प्रदान करते हैं। ये Incentive प्रति खाता खोले जाने पर ₹200 से ₹500 तक हो सकते हैं।
Active क्लाइंट बेस:
एक बड़ा क्लाइंट बेस आम तौर पर ज्यादा ब्रोकरेज जनरेशन और इनकम में तब्दील होता है।
ट्रेडिंग एक्टिविटीज:
जो क्लाइंट अक्सर और बड़ी मात्रा में ट्रेड करते हैं, वे सब-ब्रोकर की इनकम में अधिक योगदान देते हैं।
ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत:
ब्रोकर के साथ ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत पर बातचीत करने से इनकम पर काफी प्रभाव पड़ सकता है।
अकाउंट ओपन करने का टारगेट:
कुछ ब्रोकर विशिष्ट अकाउंट ओपन करने के टारगेट को प्राप्त करने वाले सब-ब्रोकर को एक्स्ट्रा लाभ या ज्यादा ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत प्रदान करते हैं।
प्रोडक्ट्स बिक्री:
Full-time Service Broker अक्सर म्यूचुअल फंड, आईपीओ और स्टॉक मार्केट कोर्स जैसे एक्स्ट्रा प्रोडक्ट्स प्रदान करते हैं। सब-ब्रोकर अपने ग्राहकों को ये प्रोडक्ट्स बेचकर कमीशन कमा सकते हैं।
ब्याज इनकम:
Full-time Service Broker्स से जुड़े सब-ब्रोकर्स मार्जिन ट्रेडिंग या क्लाइंट्स को प्रदान की जाने वाली ट्रेड फंडिंग पर लगाए गए ब्याज का हिस्सा भी कमा सकते हैं।
सब ब्रोकर बनने के फायदे – sub broker benefits in hindi
वीडियो में सब-ब्रोकर के रूप में काम करने के कई लाभों की रूपरेखा दी गई है, खास तौर पर Full-time Service Broker के साथ:
ग्राहकों पर नियंत्रण:
सब-ब्रोकर का अपने ग्राहकों पर पूरा नियंत्रण होता है, जिससे वे ट्रेडों का मैनेज कर सकते हैं और अपनी ट्रेडिंग एक्टिविटीज को अधिकतम कर सकते हैं।
अधिक कमाई की सं भावना:
Full-time Service Broker Discount broker (10-20%) की तुलना में अधिक ब्रोकरेज शेयरिंग प्रतिशत (60-75%) प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि सब-ब्रोकर को अधिक कमाई होती है क्योंकि उन्हें अपने ग्राहकों द्वारा उत्पन्न ब्रोकरेज का बड़ा हिस्सा मिलता है।
विविध इनकम धाराएँ:
सब-ब्रोकर विभिन्न चैनलों के माध्यम से एक्स्ट्रा इनकम अर्जित कर सकते हैं, जैसे:
नए ग्राहकों को लाने के लिए रेफरल Incentive म्यूचुअल फंड, आईपीओ और स्टॉक मार्केट कोर्स जैसे एक्स्ट्रा प्रोडक्ट्सों को बेचने पर कमीशन ग्राहकों को प्रदान किए गए मार्जिन ट्रेडिंग या ट्रेड फंडिंग पर अर्जित ब्याज का एक हिस्सा
स्केलेबल व्यवसाय:
जैसे-जैसे सब-ब्रोकर अपना Active ग्राहक आधार बनाते हैं, उनकी कमाई की संभावना बढ़ती जाती है। 100-200 Active ग्राहकों के साथ, एक सब-ब्रोकर संभावित रूप से प्रति माह ₹1-2 लाख कमा सकता है।
फ्लैक्सिबिलिटी:
कुछ ब्रोकर फ्लेक्सिबल मॉडल पेश करते हैं, जहाँ सब-ब्रोकर अपना खुद का office स्थापित करने या बिना किसी के काम करने का ऑप्शन चुन सकते हैं, जो विभिन्न प्राथमिकताओं और निवेश क्षमताओं को पूरा करता है।
सहायता और संसाधन:
ब्रोकर अक्सर प्रशिक्षण, मार्केटिंग सामग्री और क्लाइंट की जानकारी को ट्रैक करने के लिए एक डैशबोर्ड प्रदान करते हैं, जिससे सब-ब्रोकर को अपने व्यवसाय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलती है।
कुल मिलाकर, सब-ब्रोकर के रूप में काम करना, विशेष रूप से एक Full-time Service Broker के साथ, मार्केट नॉलेज और अनुभव वाले व्यक्तियों के लिए कई इनकम धाराओं के साथ एक लाभदायक और स्केलेबल व्यवसाय बनाने का एक आशाजनक अवसर प्रदान करता है।
सब-ब्रोकर बनने के नुकसान
वीडियो में मुख्य रूप से सब-ब्रोकर बनने के लाभों पर चर्चा की गई है, खासकर Full-time Service Broker के साथ। हालाँकि, यह कुछ संभावित कमियों को भी उजागर करता है, खासकर ज़ेरोधा जैसे Discount broker के साथ:
सख्त नियम और शर्तें:
ज़ेरोधा अपने सब-ब्रोकर पर सख्त नियम और शर्तें लगाता है, जिसमें अकाउंट ओपन करने के टारगेट और क्लाइंट सोर्सिंग विधियों पर प्रतिबंध शामिल हैं। इन मानदंडों को पूरा न करने पर पार्टनरशिप समझौते को समाप्त किया जा सकता है।’
क्लाइंट पर सीमित नियंत्रण:
कुछ मॉडलों में, सब-ब्रोकर का अपने क्लाइंट के ट्रेड पर पूरा नियंत्रण नहीं हो सकता है और उन्हें ब्रोकर की डीलिंग टीम के साथ समन्वय करने की आवश्यकता हो सकती है।
मासिक खर्च:
सब-ब्रोकर के रूप में office स्थापित करने और चलाने में वेतन, किराया, बिजली और इंटरनेट लागत जैसे कई खर्च शामिल हैं। ये खर्च प्रति माह लगभग ₹50,000 तक हो सकते हैं, जो लाभप्रदता को प्रभावित करते हैं।
कंपटीशन:
स्टॉकब्रोकिंग उद्योग अत्यधिक competitor है, जिसमें कई सब-ब्रोकर क्लाइंट के लिए होड़ करते हैं। इसके लिए सब-ब्रोकर को Active रूप से क्लाइंट्स को सोर्स करना होगा और व्यवसाय को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए competitor ब्रोकरेज दरों की पेशकश करनी होगी।
regulators आवश्यकताएँ:
सब-ब्रोकर को एक्सचेंज पर रजिस्ट्रेशन, NIOSM परीक्षा उत्तीर्ण करने और SEBI दिशानिर्देशों का पालन करने सहित विभिन्न regulators आवश्यकताओं का अनुपालन करने की आवश्यकता होती है। इसमें एक्स्ट्रा प्रयास और लागत शामिल है।
सब ब्रोकर की सैलरी कितनी होती है?
सब ब्रोकर बनाकर आप महीने के लगभग ₹20000 से लेकर ₹50000 तक बड़े आसानी से कमा सकते हैं लेकिन यह है आपके स्किल और व्यक्तित्व पर निर्भर करता है
सब ब्रोकर कैसे काम करता है?
सब ब्रोकर मुख्य ब्रोकर और क्लाइंट के मध्य एक पुल की तरह कार्य करता है
सब ब्रोकर के पंजीकरण के लिए पात्रता क्या है?
सब-ब्रोकर बनने के लिए आपको लगभग एजुकेशनल एलिजिबिलिटी (10+2), फाइनेंशियल मार्केट नॉलेज, टेक्नोलॉजी में परिपूर्ण, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल, आपकी उम्र लगभग (21+) होनी चाहिए और आपका एक अच्छा फाइनेंशियल रिकॉर्ड भी होना चाहिए।