ट्रेडिंग स्टॉक या अन्य असेट्स की खरीद और बिक्री है। इन्वेस्टिंग को बहुत ही लंबे समय के लिए किया जाता है जबकि ट्रेडिंग कम टाइमलाइन में किया जा सकता है,ट्रेडिंग सीखने के लिए आपको जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, जहाँ ट्रेडों को उसी दिन एग्जीक्यूट किया जाता है, या लॉन्ग टर्म में, जैसे स्विंग ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग, जहाँ ट्रेडों को कई दिनों या हफ़्तों तक रखा जा सकता है, इन सभी ट्रेडिंग के बारे में सीखना होगा।
ट्रेडिंग अक्सर टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर की जाती है, जिसमें प्राइस चार्ट का एनालिसिस करना और भविष्य की कीमतों में होने वाले बदलावों के बारे में पूर्वानुमान लगाने के लिए इंडिकेटर का उपयोग करना शामिल होता है। यह निवेश के विपरीत है, जो आमतौर पर लॉन्ग टर्म में किया जाता है और फंडामेंटल एनालिसिस पर आधारित होता है, जिसमें कंपनी के फाइनेंशियल हेल्थ और अन्य कारकों का एनालिसिस करके उसका intrinsic value निर्धारित करना शामिल होता है।
ट्रेडिंग सीखने के लिए आपको ब्रोकर क्या है, एक्सचेंज क्या है, दोनों के बीच अंतर, और बुल मार्केट, बियर मार्केट, लॉन्ग पोजीशन और शॉर्ट पोजीशन जैसे शब्दों का अर्थ। यह मार्केट ऑर्डर, लिमिट ऑर्डर और स्टॉप-लॉस ऑर्डर कैसे रखें, और मार्जिन, बिड, आस्क और स्प्रेड की कॉन्सेप्ट को समझना होगा।
ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे सीखें – Online trading Kaise sikhe
ट्रेडिंग की मूल बातें समझें:
जानें कि ट्रेडिंग क्या है और यह निवेश से किस तरह अलग है। इंट्राडे, स्विंग और पोजिशनल ट्रेडिंग जैसे विभिन्न प्रकार के ट्रेडिंग को समझें।
विभिन्न एसेट क्लास को जानें:
इनमें इक्विटी, डेरिवेटिव (फ्यूचर और ऑप्शन), करेंसी और कमोडिटी शामिल हैं।
समझें कि बाजार कैसे काम करता है: ब्रोकर, एक्सचेंज और निफ्टी 50 और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स के बारे में जानें।
मुख्य कॉन्सेप्ट को समझें:
बुल और बियर मार्केट, लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन और विभिन्न प्रकार के ऑर्डर (मार्केट, लिमिट, स्टॉप-लॉस) के बारे में जानें।
मार्जिन के बारे में जानें:
समझें कि मार्जिन आपको ट्रेड करने के लिए पैसे उधार लेने की अनुमति देता है, लेकिन आपके रिस्क को भी बढ़ाता है।
थोड़ी सी रकम से शुरुआत करें:
एक ऐसी रकम से शुरुआत करें जिसे खोने में आपको कोई दिक्कत न हो।
डेमो अकाउंट से प्रैक्टिस करें:
कई ब्रोकर डेमो अकाउंट देते हैं, जहाँ आप वर्चुअल मनी से ट्रेडिंग का प्रैक्टिस कर सकते हैं।
सीखना जारी रखें:
ट्रेडिंग एक जटिल क्षेत्र है, इसलिए समय के साथ सीखते रहें और अपने कौशल में सुधार करते रहें।
ट्रेडिंग स्ट्रेटजी विकसित करें:
यह आपके ट्रेडिंग निर्णयों का मार्गदर्शन करेगा और रिस्क मैनेजमेंट में आपकी मदद करेगा।
हमेशा स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करें:
यह किसी ट्रेड पर आपके संभावित नुकसान को सीमित करने में मदद करेगा।
अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने पर विचार करें:
यह आपके निवेश को विभिन्न असेट्स में फैलाकर रिस्क को कम करने में मदद कर सकता है।
धैर्य रखें और अनुशासित रहें:
भावुक न हों और आवेगपूर्ण निर्णय न लें। अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी पर टिके रहें।
प्रोफेशनल ट्रेडर से ट्रेडिंग कैसे सीखें
प्रोफेशनल लोगों से ट्रेडिंग सीखने के लिए आपको निम्नलिखित कदम उठाने होंगे
- पैसे देकर ट्रेडिंग सीखे – बहुत ज्यादा एक्सपीरियंस वाले ट्रेडिंग मास्टर से आपको ट्रेडिंग सीखनी चाहिए यह ट्रेडिंग मास्टर या स्थापित ट्रेडिंग संस्थानों द्वारा पेश किए जाने वाले ट्रेडिंग कोर्सेज में दाखिला लें। ये पाठ्यक्रम अक्सर संरचित शिक्षण प्रदान करते हैं, जो ट्रेडिंग के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं।
- मेंटरशिप: अनुभवी व्यापारियों की तलाश करें जो मेंटरशिप प्रोग्राम प्रदान करते हैं। यह उनके वास्तविक दुनिया के अनुभवों से व्यक्तिगत मार्गदर्शन और सीखने की अनुमति देता है।
- पुस्तकें और वीडियो: प्रोफेशनल ट्रेडर्स द्वारा बनाई गई पुस्तकों और वीडियो जैसे एजुकेशनल कंटेंट का उपयोग करें। ये वैल्युएबल अंतर्दृष्टि और स्ट्रेटजीयाँ प्रदान कर सकते हैं।
एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड और शिक्षण के लिए पारदर्शी दृष्टिकोण वाले पेशेवरों पर शोध करना और उन्हें चुनना याद रखें।
शेयर मार्केट ट्रेडिंग कैसे सीखे – How to learn online trading in Hindi
ऑनलाइन ट्रेडिंग क्या होती है
ट्रेडिंग(Trading)इक्विटी(Equity) या किसी भी सिक्योरिटीज को खरीदना और बेचना है। आप चाहें तो स्टॉक खरीदकर 5 मिनट बाद बेच सकते हैं। इसे कुछ घंटों, दिनों या हफ़्तों तक भी रखा जा सकता है। ट्रेडिंग निवेश से अलग है, क्योंकि निवेश लॉन्ग टर्म के लिए किया जाता है ताकि पीढ़ियों के लिए धन बनाया जा सके।
ट्रेडिंग में लाभ कमाने के लक्ष्य के साथ बाज़ार में संपत्ति खरीदना और बेचना शामिल है।
ट्रेडिंग करने का समय
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक है। हालाँकि, ब्रोकर आमतौर पर दोपहर 3:15 बजे के आसपास कट-ऑफ समय रखते हैं। यदि आपका ऑर्डर कट-ऑफ समय से मेल नहीं खाता है, तो ब्रोकर अपने आप ही बचे हुए सभी खुले ऑर्डर रद्द कर देगा।
किन-किन असेट्स में ट्रेडिंग कर सकते हैं
एसेट क्लास बाजार में उपलब्ध निवेश की विभिन्न कैटिगरीज हैं। कुछ एसेट क्लास इस प्रकार हैं:
- इक्विटी: यह स्टॉक को संदर्भित करता है, जो किसी कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- डेरिवेटिव: (Derivative ये फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स हैं जो किसी अंडरलिंग असेट्स से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं। इनमें वायदा और विकल्प शामिल हैं।
- मुद्रा: इसमें USD/INR जैसी विभिन्न मुद्राओं का ट्रेडिंग करना शामिल है।
- कमोडिटी: इसमें सोना, चांदी और कच्चे तेल जैसी भौतिक वस्तुओं का ट्रेडिंग शामिल है।
बॉन्ड और सर्टिफिकेट डिपॉजिट जैसे अन्य एसेट क्लास भी हैं, लेकिन इनका आमतौर पर काउंटर (OTC) पर कारोबार किया जाता है और खुदरा ट्रेडिंगियों के लिए यह उतना सुलभ नहीं है।
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं
- इंट्राडे ट्रेडिंग: एक ही दिन में स्टॉक खरीदना और बेचना (सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे के बीच)।
- स्विंग ट्रेडिंग: कुछ दिनों के लिए स्टॉक को होल्ड करना (आमतौर पर 2-3 दिन)।
- पोजिशनल ट्रेडिंग: स्टॉक को लॉन्ग टर्म (कुछ सप्ताह) के लिए होल्ड करना।
- स्केलिंग: छोटे मूल्य परिवर्तनों का लाभ उठाना और सेकंड या मिनटों के भीतर त्वरित लाभ कमाना।
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्या होता है
ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ खरीदार और विक्रेता का मिलान किया जाता है। यह वह जगह है जहाँ आप स्टॉक, मुद्राएँ, कमोडिटीज़ आदि का ट्रेडिंग कर सकते हैं।
यह प्लेटफ़ॉर्म ब्रोकर द्वारा प्रदान किया जाता है जो निवेशकों और स्टॉक एक्सचेंज के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं। आप प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से विभिन्न प्रकार के ऑर्डर दे सकते हैं, जिसमें मार्केट ऑर्डर, लिमिट ऑर्डर और स्टॉप-लॉस ऑर्डर शामिल हैं। प्लेटफ़ॉर्म करंट मार्केट प्राइस, Bid price, Ask Price और गहराई के बारे में जानकारी भी प्रदर्शित करता है।
स्टॉक एक्सचेंज क्या होते हैं
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ स्टॉक का कारोबार होता है। कंपनियाँ अपने शेयरों को एक्सचेंज पर लिस्टेड करती हैं, जिससे निवेशक उन्हें खरीद और बेच सकते हैं। यह ट्रेडिंगिक गतिविधियों के लिए एक विनियमित और पारदर्शी बाज़ार प्रदान करता है।
भारत में, दो मुख्य एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) हैं। NSE अधिक लोकप्रिय है, और इसका निफ्टी 50 इंडेक्स, जो एक्सचेंज में लिस्टेड शीर्ष 50 कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है, भारतीय शेयर बाजार के लिए व्यापक रूप से अनुसरण किया जाने वाला बेंचमार्क है।
स्टॉक एक्सचेंज ऐसे काम करता है
- लिस्टेडता: कंपनियाँ अपने शेयरों को एक्सचेंज पर लिस्टेड करने के लिए विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इसमें वित्तीय प्रकटीकरण प्रदान करना और एक्सचेंज के नियमों और विनियमों का पालन करना शामिल है।
- ट्रेडिंग: एक बार लिस्टेड होने के बाद, शेयर निवेशकों द्वारा ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जा सकते हैं जो एक्सचेंज के सदस्य हैं।
- मूल्य निर्धारण: एक्सचेंज खरीद और बिक्री आदेशों के मिलान की सुविधा प्रदान करता है, आपूर्ति और मांग के आधार पर शेयरों का बाजार मूल्य निर्धारित करता है।
- रेगुलेशन: एक्सचेंज नियामक निकायों की देखरेख में काम करता है, जिससे निष्पक्ष और व्यवस्थित ट्रेडिंगिक व्यवहार सुनिश्चित होता है।
ट्रेडिंग और निवेश में अंतर –
ट्रेडिंग में असेट्स की अधिक बार खरीद और बिक्री शामिल होती है, जिसमें शॉर्ट टर्म मूल्य उतार-चढ़ाव और बाजार की भावना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। त्वरित निर्णय लेने, बाजार की भावना को समझने और चार्ट और इंडिकेटर जैसे टेक्निकल एनालिसिस उपकरणों का उपयोग करने के महत्व पर जोर देता है।
निवेश का स्पष्ट “बाजार के अंदर जानें” और वास्तविक धन लगाने से पहले “दो-चार महीने तक पेपर ट्रेडिंग करें” अधिक लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि निवेश में लॉन्ग टर्म शामिल है, जिसमें शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव पर कम जोर दिया जाता है और असेट्स के फंडामेंटल एनालिसिस पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
समय सीमा: निवेश में लॉन्ग टर्म प्रतिबद्धता (महीने, साल या दशक) शामिल होती है, जिसका लक्ष्य पीढ़ियों में संपत्ति का निर्माण करना होता है। दूसरी ओर, ट्रेडिंग, मिनटों से लेकर हफ़्तों तक की छोटी समय-सीमाओं पर संचालित होती है, जो त्वरित लाभ कमाने पर केंद्रित होती है।
Analytical Approach: निवेश मुख्य रूप से फंडामेंटल एनालिसिस पर निर्भर करता है, जिसमें कंपनी की बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस डीटेल्स और समग्र बाजार स्थिति का अध्ययन करके कंपनी के फाइनेंशियल हेल्थ और intrinsic value का गहन मूल्यांकन शामिल होता है। ट्रेडिंग टेक्निकल एनालिसिस की ओर झुकती है, शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट की भविष्यवाणी करने और त्वरित ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए प्राइस चार्ट और पैटर्न का उपयोग करती है।
ट्रेडिंग कैसे करें – How to do online trading in Hindi
ट्रेडिंग शुरू करने के तरीके के बारे में यहाँ बताया गया है:
- डीमैट खाता खोलें: अपने शेयर और सिक्योरिटीज़ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखने के लिए आपको डीमैट खाते की ज़रूरत होती है।
- मूल बातें समझें: शेयर बाज़ार, अलग-अलग तरह के ऑर्डर (मार्केट, लिमिट, स्टॉप लॉस) और ट्रेडिंग स्ट्रेटजीयों के बारे में जानें।
- ब्रोकर का इस्तेमाल करें: ब्रोकर आपके और स्टॉक एक्सचेंज के बीच मध्यस्थ की तरह काम करता है, जो आपके ट्रेड को सुविधाजनक बनाता है।
- अपनी एसेट क्लास चुनें: तय करें कि आप किसमें ट्रेड करना चाहते हैं, जैसे स्टॉक, ऑप्शन, करेंसी या कमोडिटी।
- बाजार का एनालिसिस करें: खरीदने या बेचने के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए टेक्निकल या फंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल करें।
- अपने ऑर्डर दें: तत्काल एग्जीक्यूट के लिए मार्केट ऑर्डर देने या किसी खास कीमत पर खरीदने/बेचने के लिए लिमिट ऑर्डर देने के लिए अपने ब्रोकर के प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करें।
- अपने रिस्क का मैनेजमेंट करें: संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करें और रिस्क को फैलाने के लिए अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाएँ।
- अपने ट्रेडों पर नज़र रखें: अपनी स्ट्रेटजी में ज़रूरी बदलाव करने के लिए अपने ट्रेडों और बाज़ार पर नज़र रखें।
- सीखना जारी रखें: बाज़ार के रुझानों के बारे में जानकारी रखें और अपने ट्रेडिंग कौशल को बेहतर बनाने के लिए सीखते रहें।
स्टॉक ब्रोकर
स्टॉक ब्रोकरStock broker निवेशक और स्टॉक एक्सचेंज के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है, क्योंकि हर किसी की एक्सचेंज तक सीधी पहुंच नहीं होती है। ब्रोकर स्टॉक खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है, निवेशक के लिए डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोलता है, और SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) को आवश्यक दस्तावेज़ भेजता है। ब्रोकर निवेशक का विवरण भी एकत्र करता है और संग्रहीत करता है और सुविधाजनक ट्रेडिंग के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है।
पहले, ब्रोकर व्यक्ति होते थे, लेकिन प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, पूरी दुनिया को ब्रोकर माना जा सकता है, जो ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता है। हालाँकि, ब्रोकर बनना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें SEBI के नियमों का अनुपालन और NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) जैसे एक्सचेंजों में सदस्यता प्राप्त करना शामिल है।
डीमैट खाता कैसे खोलें:
- डिपॉजिटरी प्रतिभागी (ब्रोकर) चुनें: NSDL या CDSL में पंजीकृत एक प्रतिष्ठित ब्रोकर चुनें।
- ऑनलाइन फ़ॉर्म भरें: व्यक्तिगत विवरण, संपर्क जानकारी और बैंक खाते का विवरण प्रदान करें।
- दस्तावेज जमा करें: पैन कार्ड, पते के प्रमाण और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन की गई कॉपी अपलोड करें।
- वेरीफिकेशन: ब्रोकर जानकारी और दस्तावेजों का सत्यापन करेगा।
- अकाउंट एक्टिवेशन: एक बार सत्यापित होने के बाद, डीमैट खाता सक्रिय हो जाएगा, और आपको लॉगिन क्रेडेंशियल प्राप्त होंगे।
ट्रेडिंग करते समय शुरुआती लोग कौन सी सामान्य गलतियाँ करते हैं?
वक्ता ने कई सामान्य गलतियों की पहचान की है जो शुरुआती लोग ट्रेडिंग करते समय करते हैं:
पेपर ट्रेडिंग के बिना ट्रेडिंग:
पेपर ट्रेडिंग का प्रैक्टिस किए बिना वास्तविक ट्रेडिंग में कूदना बाजार की गतिशीलता के अनुभव और समझ की कमी के कारण नुकसान का कारण बन सकता है।
कॉल या टिप्स के आधार पर ट्रेडिंग:
अपने स्वयं के ज्ञान और एनालिसिस कौशल को विकसित किए बिना दूसरों से कॉल या टिप्स पर निर्भर रहना आपदा का कारण बन सकता है।
Risk or Reward की अनदेखी करना:
प्रत्येक ट्रेड के लिए उचित रिस्क-इनाम अनुपात न होने से बाजार के ट्रेडर के खिलाफ जाने पर महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है।
दैनिक लक्ष्य निर्धारित न करना:
लाभ और हानि के लिए स्पष्ट दैनिक लक्ष्यों के बिना ट्रेडिंग करने से आवेगपूर्ण निर्णय और ओवरट्रेडिंग हो सकती है।
ओवरट्रेडिंग:
एक दिन में बहुत अधिक ट्रेड करने से लेनदेन की लागत और गलतियाँ होने की संभावना बढ़ सकती है।
भावनाओं के साथ ट्रेडिंग:
भय और लालच जैसी भावनाओं को ट्रेडिंग निर्णयों को प्रभावित करने देना निर्णय को प्रभावित कर सकता है और खराब परिणामों को जन्म दे सकता है।
बाजार को न समझना:
सपोर्ट, रेजिस्टेंस और कैंडलस्टिक पैटर्न जैसी बुनियादी बाजार कॉन्सेप्ट को न समझना सूचित ट्रेडिंग निर्णय लेना मुश्किल बना सकता है।
रियलिस्टिक अपेक्षाएँ रखना:
सीखने और प्रैक्टिस करने के लिए समय और प्रयास लगाए बिना जल्दी से बड़ा मुनाफ़ा कमाने की उम्मीद करना निराशा और हताशा का कारण बन सकता है। वक्ता इन सामान्य गलतियों से बचने और एक सफल ट्रेडिंगी बनने के लिए सीखने, प्रैक्टिस करने और अनुशासन विकसित करने के महत्व पर जोर देता है।
ट्रेडिंग करते समय होने वाले रिस्क – ट्रेडिंग रिस्क
शेयर बाजार में ट्रेडिंग को अक्सर एक आकर्षक बिजनेस के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसमें प्रवेश के लिए कम बाधाएं होती हैं; हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ट्रेडिंग रिस्क भरा है, और अधिकांश ट्रेडिंगी लाभ नहीं कमा पाते हैं। नवीनतम सेबी रिपोर्ट के अनुसार, 89% ट्रेडिंगी एक वर्ष में प्रॉफिट बनाने में असमर्थ हैं।
ट्रेडिंग में रिस्क को कम करने के कुछ तरीके हैं। सबसे पहले, एक छोटी राशि से शुरुआत करना महत्वपूर्ण है जिसे खोने में आपको कोई दिक्कत न हो। आपको अलग-अलग स्टॉक और समय-सीमा में ट्रेडिंग करके अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लानी चाहिए। अंत में, अपने नुकसान को लिमिटेड करने के लिए हमेशा स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करें।
लिक्विडिटी
लिक्विडिटी इस बात का माप है कि आप किसी संपत्ति को उसकी कीमत को प्रभावित किए बिना कितनी जल्दी खरीद या बेच सकते हैं। शेयर बाजार में लिक्विडिटी अधिक होती है और आप बाजार खुलने पर आसानी से अपनी होल्डिंग्स बेच सकते हैं। हालांकि, रियल एस्टेट में लिक्विडिटी कम होती है और किसी संपत्ति के लिए खरीदार मिलने में महीनों या सालों भी लग सकते हैं।
इसलिए, शेयर बाजार को रियल एस्टेट बाजार की तुलना में अधिक लिक्विड माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयर बाजार में अधिक खरीदार और विक्रेता होते हैं और लेन-देन बहुत तेजी से पूरा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, शेयरों की कीमतें रियल एस्टेट की कीमतों की तुलना में अधिक पारदर्शी होती हैं।