कॉल और पुट ऑप्शन के बीच मुख्य अंतर यह है कि कॉल ऑप्शन धारक को एक निश्चित समय अवधि के भीतर एक निश्चित प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।पुट ऑप्शन धारक को एक निश्चित समय अवधि के भीतर स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
सरल शब्दों में, कॉल ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप अनुमान लगाते हैं कि अंडरलाइंग एसेट्स की प्राइस बढ़ेगी, जबकि पुट ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप उम्मीद करते हैं कि प्राइस गिरेगी।
ट्रेडिंग में कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन बहुत ही महत्वपूर्णट्रेडिंग शब्द होते हैं जिनका उपयोग हम लोग ट्रेडिंग करते वक्त करते हैं चाहे वह आप इंट्राडे करें चाहे आप ऑप्शन ट्रेडिंग करें तो ऐसे में कॉल और पुट ऑप्शन में अंतर क्या होता है और उनके क्या-क्यापरिदृश्य होते हैं चलिए विस्तार से जानते हैं
कॉल और पुट ऑप्शन के बीच अंतर – difference between call and put option in hindi
याद रखें, कॉल और पुट ऑप्शन(Call option and put option) दोनों ही डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट हैं, जिसका अर्थ है कि उनका मूल्य अंडरलाइंग एसेट्स से प्राप्त होता है। वे अंडरलाइंग एसेट्स के सीधे मालिक बने बिना बाजार में भाग लेने का एक तरीका प्रदान करते हैं।
विशेषताएँ | कॉल ऑप्शन | पुट ऑप्शन |
अधिकार | अंडरलाइंग एसेट्स को खरीदने का अधिकार | अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार |
खरीदार का दृष्टिकोण | तेजी (प्राइस बढ़ने की उम्मीद) | मंदी (प्राइस गिरने की उम्मीद) |
लाभ का परिदृश्य | जब Assets की प्राइस स्ट्राइक प्राइस से ऊपर जाती है | जब Assets की प्राइस स्ट्राइक प्राइस से नीचे जाती है |
एक्सरसाइज करने पर कार्रवाई | खरीदार स्ट्राइक प्राइस पर Assets खरीदता है | विक्रेता स्ट्राइक प्राइस पर Assets खरीदता है |
रिस्क | पेमेंट किए गए प्रीमियम तक लिमिटेड | पेमेंट किए गए प्रीमियम तक लिमिटेड |
उपयोग | प्राइस ऑफ जाने पर अटकलें लगाने के लिए, नेगेटिव रिस्क से बचाव के लिए | प्राइस डाउन जाने पर अटकलें लगाने, नेगेटिव रिस्क से बचाव के लिए |
कॉल ऑप्शन की विशेषताएं – Call option features in Hindi
दस्तावेज़ के आधार पर, कॉल ऑप्शन की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
खरीदने का अधिकार:
कॉल ऑप्शन धारक को एक निश्चित समय सीमा के भीतर एक निश्चित प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर अंडरलाइंग एसेट्स (जैसे, एक स्टॉक) खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
स्ट्राइक प्राइस:
यह पूर्व निर्धारित मूल्य है जिस पर धारक अंडरलाइंग एसेट्स खरीद सकता है यदि वे ऑप्शन का प्रयोग करना चुनते हैं।
Expiry dates:
कॉल ऑप्शन की एक निर्धारित Expiry dates होती है। धारक केवल इस तिथि से पहले हीऑप्शन का प्रयोग कर सकता है।
प्रीमियम:
कॉल ऑप्शन का खरीदार Assets खरीदने के अधिकार के लिए विक्रेता को प्रीमियम का पेमेंट करता है।
लाभ क्षमता:
खरीदार की लाभ क्षमता सैद्धांतिक रूप से अलिमिटेड है, क्योंकि अंडरलाइंग एसेट्स की प्राइस स्ट्राइक प्राइस से काफी ऊपर जा सकती है।
रिस्क:
खरीदार का रिस्कऑप्शन के लिए पेमेंट किए गए प्रीमियम तक लिमिटेड है। यदिऑप्शन बिना प्रयोग किए Expiry हो जाता है, तो खरीदार प्रीमियम खो देता है।
उपयोग का मामला:
कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल आम तौर पर तब किया जाता है जब खरीदार को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट्स की प्राइस बढ़ेगी।
ऑप्शन ट्रेडिंग में जटिल वित्तीय उपकरण शामिल होते हैं और इसमें महत्वपूर्ण रिस्क होते हैं। किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
पुट ऑप्शन की विशेषताएं – Put option features in Hindi
प्रदान किए गए पाठ के आधार पर, यहाँ पुट ऑप्शन की मुख्य विशेषताएँ दी गई हैं:
बिक्री का अधिकार:
पुट ऑप्शन धारक को एक अंडरलाइंग एसेट्स (जैसे, एक स्टॉक) को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर एक निश्चित प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
स्ट्राइक प्राइस:
यह पूर्व निर्धारित मूल्य है जिस पर धारक अंडरलाइंग एसेट्स को बेच सकता है यदि वेऑप्शन का प्रयोग करना चुनते हैं।
Expiry dates:
पुट ऑप्शन की एक निर्धारित Expiry dates होती है, और धारक केवल इस तिथि से पहले हीऑप्शन का प्रयोग कर सकता है।
प्रीमियम:
पुट ऑप्शन का खरीदार Assets को बेचने के अधिकार के लिए विक्रेता को प्रीमियम का पेमेंट करता है।
लाभ क्षमता:
खरीदार की अधिकतम लाभ क्षमता स्ट्राइक प्राइस और 0 के बीच का अंतर है, जिसमें से पेमेंट किया गया प्रीमियम घटाया जाता है। यह तब होता है जब अंडरलाइंग एसेट्स का मूल्य 0 हो जाता है।
रिस्क:
खरीदार का रिस्कऑप्शन के लिए पेमेंट किए गए प्रीमियम तक लिमिटेड है। यदिऑप्शन बिना प्रयोग किए Expiry हो जाता है, तो खरीदार केवल प्रीमियम खोता है।
उपयोग का मामला:
पुट ऑप्शन का इस्तेमाल आम तौर पर तब किया जाता है जब खरीदार को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट्स की प्राइस कम हो जाएगी।