Basic Trading Terminology in Hindi – 50 + शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शब्दावली हिंदी में

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Basic Trading Terminology in Hindi , basic terms of trading for beginners – आपको ट्रेडिंग में उपयोग होने वाले कुछ शब्दावलियों का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है जैसे यह इक्विटी, Future and option, Time frame, लॉन्ग/शॉर्ट, इंट्राडे/स्विंग ट्रेडिंग, हेजिंग, ब्रेकआउट/रिवर्सल/पुलबैक, करेक्शन, ब्रोकर/ब्रोकरेज, लीवरेज, मार्जिन कॉल, अस्थिरता, इंडेक्स, स्प्रेड, एक्सचेंज, बुल/बेयर मार्केट, वॉचलिस्ट, कैंडलस्टिक/चार्ट पैटर्न, इंडिकेटर, डिमांड/सप्लाई ज़ोन, स्ट्राइक प्राइस, एक्सपायरी, RPT/RPD/RRR के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है जिससे  आपकी ट्रेडिंग की यात्रा काफी आसान और सरल हो जाए 

अगर आप भी शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना चाहते हैं और ट्रेडिंग से संबंधित सभी टर्म और शब्दावलियों का अर्थ जानना चाहते हैं Share Market Trading Dictionary In Hindi खोज रहे हैं और जानना चाहते है कि ट्रेडिंग की शब्दावली हिंदी में – Trading Terminology in Hindi 

नीचे लिखे गए सभी शब्दावलियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें जिससे आपके ज्ञान में वृद्धि होगी 

Basic Trading Terminology in Hindi

basic terminologies in trading In Hindi – ट्रेडिंग में use होने वाले शब्द 

यहाँ कुछ बुनियादी ट्रेडिंग शब्द और उनकी परिभाषाएँ दी गई हैं: 

इक्विटी: 

इक्विटी (Equity)का मतलब पूर्ण स्वामित्व होता है तो ऐसे में हम किसी भी शेयर तो खरीद कर मालिकाना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं रिलायंस या एसबीआई जैसे स्टॉक। इक्विटी ट्रेडिंग, कैश ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग सभी एक ही चीज़ को संदर्भित करते हैं। 

फ्यूचर्स और ऑप्शंस: 

फ्यूचर्स और ऑप्शंस इक्विटी नहीं हैं, बल्कि इंस्ट्रूमेंट या ट्रेडिंग का एक साधन हैं। इक्विटी एक एसेट है, जबकि F&O एसेट ट्रेडिंग का एक तरीका है।

 टाइमफ़्रेम

आप जो चार्ट देखते हैं, उसमें प्रत्येक कैंडल एक निश्चित टाइमफ़्रेम (जैसे 15 मिनट, 30 मिनट, 1 घंटा) की होती है। टाइमफ़्रेम वह है जो एक कैंडल हमें दिखाती है। 

Go long 

स्टॉक खरीदना। तकनीकी स्टॉक मार्केट या ट्रेडिंग भाषा में, हम एसबीआई पर लॉन्ग जा रहे हैं।

Go Short  

स्टॉक बेचना। तकनीकी स्टॉक मार्केट या ट्रेडिंग भाषा में, हम एसबीआई पर शॉर्ट जा रहे हैं।

 इंट्राडे ट्रेडिंग:

इंट्राडे ट्रेडिंग(Intraday trading) ट्रेडिंग का एक अन्य प्रकार है जिसमें हम 1 दिन में ट्रेडिंग संपन्न कर लेते हैं मार्केट ओपन होने के बाद हम किसी भी पोजीशन को लेते हैं और मार्केट खत्म होने से पहले पोजीशन छोड़ देते हैं ट्रेडिंग संपन्न हो जाती है इंट्राडे ट्रेडिंग कहलाती है हम इसे रात भर नहीं रखते हैं। इसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं।

 स्विंग ट्रेडिंग 

स्विंग ट्रेडिंग(Swing trading) छोटी-छोटी मार्केट हलचल से मुनाफा बनाने की एक कला है स्विंग ट्रेडिंग में हम अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को कई दिन के लिए होल्ड कर सकते हैं  हम ट्रेडिंग करते हैं और इसे 2-5 दिनों तक रखते हैं।

 हेजिंग: 

बीमा के समान। जब ICICI बैंक की कीमत बढ़ी है, तो मैंने ICICI बैंक के कई पुट खरीदे हैं। लेकिन अगर मैंने 1 करोड़ की इक्विटी खरीदी है, तो क्या मैं 1 करोड़ की हेजिंग खरीदकर मूर्ख हूँ? मैं 5 लाख का बीमा खरीद सकता हूँ। हेजिंग बीमा की तरह है।

ब्रेकआउट

 जब कोई स्टॉक एक सीमा में चल रहा होता है, लेकिन किसी दिन वह इसे तोड़ देता है। इसलिए किसी स्तर को तोड़ना ब्रेकआउट कहलाता है।

रिवर्सल

बाजार किसी स्तर को तोड़ने में असमर्थ है। इसके लिए रिवर्सल की जरूरत होती है। इसे रिवर्सल कहते हैं। ब्रेकआउट का उल्टा। ब्रेकआउट का मतलब है कि यह किसी स्तर को तोड़ता है। रिवर्सल का मतलब है कि यह फिर से गिरता है।

पुलबैक

 रिवर्सल वास्तव में ऐसा नहीं होता है। बाजार ने एक बड़ा ब्रेकआउट दिखाया। इसने ऊपर की ओर रुझान दिखाया। फिर यह गिरना शुरू हो गया। रिवर्सल तब होता है जब यह तेजी से गिरता है। अगर बाजार ऊपर जाता है और यह बहुत तेजी से नहीं गिरता है। 

मान लीजिए कि यह 30%-50% तक गिर गया और फिर यह ऊपर चला गया। यह ऊपर गया, फिर नीचे आया। फिर फिर से ऊपर आया। इस नीचे की ओर रुझान को क्या कहते हैं? पुलबैक। इसे रिट्रेसमेंट भी कहते हैं। बाजार ऊपर गया, फिर वापस आया और फिर ऊपर गया। पुलबैक और रिट्रेसमेंट एक ही बात है।

करेक्शन 

बाजार ऊपर गया और फिर गिरने लगा। अगर यह तेजी से गिरता है, तो इसे रिवर्सल कहते हैं। फिर से वही बात है। बाजार ऊपर गया और थोड़ा गिरा। और फिर से ऊपर जाने लगा। हम कहते हैं कि बाजार खुद को सही कर रहा है। बाजार उलट नहीं रहा है। यह नीचे की ओर जाने वाला ट्रेंड नहीं है। यह ऊपर की ओर जाने वाला ट्रेंड है। यह खुद को सही कर रहा है। मामूली गिरावट को करेक्शन कहते हैं।

ब्रोकर 

स्टॉक ब्रोकर (Stock broker)किसी भी निवेशक और स्टॉक एक्सचेंज के मध्य एक मध्यस्थ का कार्य करता है  वे जो हमें जीरोधा, एक्सनेस, अपस्टॉक्स, एंजेल ब्रोकिंग जैसी सुविधाएं देते हैं और ट्रेडिंग में हमारी मदद करते हैं। हम उनके एप्लिकेशन का इस्तेमाल करते हैं और बाजार में प्रवेश करते हैं।

ब्रोकरेज

ऐप का इस्तेमाल करने के लिए हम ब्रोकर को जो फीस देते हैं। मूल रूप से, यह 20 रुपये है।

लीवरेज 

आपको बाजार से लोन मिलता है। मान लीजिए मेरे पास 10000 रुपये हैं। अगर मैं 10000 रुपये का इस्तेमाल भारतीय शेयर बाजार में करता हूं तो मैं 50000 रुपये के शेयर खरीद सकता हूं और ट्रेडिंग कर सकता हूं। लेकिन मैं केवल इंट्राडे ही कर सकता हूँ। मुझे इसे काटना होगा। 

लीवरेज एक तरह का लोन है जो आपको मिलता है। फॉरेक्स में आपको 100 गुना-200 गुना लीवरेज मिलता है। यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि वहाँ बहुत ज़्यादा हलचल नहीं होती।

मार्जिन कॉल:

 जब ब्रोकर आपको तुरंत अकाउंट में पैसे जमा करने के लिए कहता है। या पोजीशन को काटने के लिए। अगर आप इसे नहीं काटते हैं, तो मैं इसे काट दूँगा। इसे मार्जिन कॉल कहते हैं।

Volatility

Volatility का विपरीत Stability है। स्थिरता का मतलब है कि बाजार स्थिर है। बाजार स्थिरता दिखा रहा है। अस्थिरता का मतलब है कि यह ऊपर, नीचे, ऊपर, नीचे जाता है। यह यादृच्छिक है। अस्थिरता का मतलब है यादृच्छिकता। बाजार बहुत अस्थिर है। यह ऊपर और नीचे जा रहा है।

इंडेक्स: 

स्टॉक का एक समूह। मान लीजिए बैंक निफ्टी(Bank nifty) में हम कुछ 10-15 बैंकों का एक समूह बनाते हैं। उस समूह को इंडेक्स कहते हैं। निफ्टी(Nifty) में आप 50 कंपनियों का एक समूह बनाते हैं। मैं 50 कंपनियों के समूह को क्या कहूँ? हम इसे निफ्टी कहते हैं। इंडेक्स एक समूह है।

स्प्रेड: 

आपकी खरीद और बिक्री के बीच का अंतर। मान लीजिए मैं 100000 रुपये में यह लैपटॉप खरीदने के लिए बाजार जाता हूं। मैं इसे तुरंत 100000 रुपये में खरीद लेता हूं। जैसे ही मैंने इसे खरीदा, मुझे खबर मिली कि इसमें कुछ पैसे की दिक्कत है। मैं इसे तुरंत बेचने जाऊंगा।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शब्दावली हिंदी में – Share Market Trading Terminology in Hindi

  1. Trading: कम समय अंतराल के लिए शेयर्स को खरीद कर बेचने को ट्रेडिंग कहते है ट्रेडिंग में स्टॉक मार्किट में दिन-प्रतिदिन जो छोटे-बड़े उछाल आते है उनका फायदा उठाया जाता है।  
  1. Open: शेयर मार्किट Open होने के बाद किसी शेयर की वो पहली Price जिस पर Buy और Sell होता है उसे Opening Price कहते है। 
  1. Close: स्टॉक मार्किट बंद होने से ठीक पहले किसी शेयर की वो आखिरी Price जिस पर Buy और Sell होता है उसे Closing Price कहते है। 
  1. Low: Stock Market खुलने से लेकर बंद होने के बीच में किसी शेयर के Price का वह Price Point जिसके नीचे वह शेयर नहीं गया हो उसे 24 Hour Low कहते है। 
  1. High: Stock Market खुलने से लेकर बंद होने के बीच में किसी शेयर के Price का वह Price Point जिसके ऊपर  वह शेयर नहीं गया हो उसे 24 Hour High कहते है।  
  1. Expiry: Derivatives मार्किट के अंदर Expiry किसी Contract की वह आखिरी तारीख होती है जिस दिन तक वह Contract वैध रहता है उसे बाद एक नया Contract Issue होता है आम तौर पर Expiry किसी महीने की आखिरी गुरूवार को होती है। 
  1. Lower Circuit: लोअर सर्किट किसी शेयर की वह Price Range होती है जिसके नीचे वह शेयर नहीं जा सकता है 
  1. Upper Circuit: वही अपर सर्किट किसी शेयर की वह Price Range होती है जिसके ऊपर वह शेयर नहीं जा सकता है
  1. Circuit Breaker: अगर कोई शेयर अपर या लोअर सर्किट की Price Range हो हिट करता है तो इसे Circuit Breaker कहा जाता है सर्किट ब्रेक होने पर उस दिन के लिए उस शेयर में ट्रेडिंग नहीं होती है और यह Price Range SEBI और Stock Exchange तय करते है।
  1. Rally: जब कोई शेयर बहुत ही कम समय में एक सीधी बढ़त (Price Increase) दिखाता है तो उसे Rally कहते है 
  1. Lot: डेरिवेटिव्स मार्किट में अपनी मर्जी के मुताबिक Number of Share खरीद नहीं सकते है बल्कि एक पहले से निर्धारित Quantity के Multiple में ही Buy या Sell कर सकते है जिसे Lot Size कहते है। 
  1. Tick: किसी स्टॉक के Price में जो Minimum Change होता है उसे Tick कहते है। 
  1. Contract Note: पुरे दिन स्टॉक मार्किट में जो Trade लिए जाते है दिन के अंत में ब्रोकर उसका एक Contract Note बनाकर इ-मेल पर भेजता है कॉन्ट्रैक्ट नोट में पूरी जानकारी होती है कि पुरे दिन में क्या – क्या ख़रीदा और बेचा गया है। 
  1. Risk To Reward: ट्रेडिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड रेश्यो का बहुत महत्व है इसका सीधा सा मतलब यह है की एक निश्चित प्रॉफिट कमाने के लिए आप अपनी राशि का कितने प्रतिशत जोखिम ले रहे है Risk To Reward आम तौर पर 1:2 होता है जिसका अर्थ यह है की 2 रुपये कमाने के लिए 1 रुपये का Risk लेना।
  1. Money Management: Share Market में नुकसान से बचने के लिए मनी मैनेजमेंट करना जरूरी है मनी मैनेजमेंट में किस शेयर में कितना निवेश करना है, कहाँ निवेश करना है, कितना Cash अपने पास रखना है जैसी बातो को ध्यान में रखा जाता है। Risk To Reward Ratio भी मनी मैनेजमेंट का एक हिस्सा होता है
  1. Realised Profit/Loss: यह वह प्रॉफिट या लॉस होता है जो हो चुका है उदाहरण के लिए मान लीजिये आपने कोई शेयर ख़रीदा और एक महीने बाद उस शेयर को बेच दिया तो अब आपको जो भी प्रॉफिट या लॉस हुआ है वह Realised Profit या Loss है 
  1. Unrealised Profit: यह वह प्रॉफिट या लॉस होता है जो On Paper है यानि अभी तक हुआ नहीं है उदाहरण के लिए मान लीजिये आपने कोई शेयर ख़रीदा और आपने यह निर्णय लिया की आप इसे एक महीने बाद बेचेंगे तो अब एक महीने तक जो भी Price में बदलाव हुआ है जिसे अभी तक बूक नहीं किया है वह Unrealised Profit या Loss है 
  1. Gap up/ Gap Down: कभी-कभी कोई शेयर पिछली Closing Price की तुलना में Gap up या Gap Down Open होता है
  1. Hedging: Hedging एक Strategy है जिससे स्टॉक मार्किट में Loss को सिमित या कम किया जाता है। 
  1. Margin: मार्जिन ब्रोकर द्वारा दिया जाने वाला एक उधार होता है जिससे शेयर्स को ख़रीदा और बेचा जाता है। 
  1. Initial Margin: ब्रोकर 100% मार्जिन प्रोवाइड नहीं करता है कुछ पैसे ट्रेडर को अपनी तरफ से भी लगाने होते है जिसे Initial Margin कहते है। 
  1. Margin Call: जब किसी ट्रेडर का Initial Margin लॉस में चला जाये तो ब्रोकर ट्रेडर को और पैसे Add करने के लिए एक Reminder भेजता है जिसे Margin Call कहते है।  
  1. Liquidate: Margin Call भेजे जाने के बाद भी अगर ट्रेडर अपने ट्रेड के लिए और पैसे Add नहीं करता है तो ब्रोकर उस ट्रेड को Liquidate कर देता है जिसका अर्थ यह हुआ की जो भी पैसे Initial Margin के लिए Add किये थे वह पैसे पूरी तरह से डूब जाते है। 
  1. Limit Order: लिमिट ऑर्डर में ट्रेडर किसी शेयर को खरीदने के लिए अपनी मर्जी से कोई भी प्राइस डाल सकता है। 
  1. Market Order: मार्किट आर्डर में जो प्राइस अभी मार्किट में चल रही है उसी पर ही शेयर को ख़रीदा और बेचा जाता है। 
  1. Open Order: जब भी किसी शेयर को Buy या Sell करने के लिए Order Place करते है जब तक वह Order Hit नहीं हो जाता या ट्रेडर उसे खुद Cancel न कर दे ऐसे आर्डर को Open Order कहते है। 
  1. Order Book: Order Book एक List of Orders होती है जिसे Trader Place करते है आर्डर बुक दो हिस्सों में विभाजित होती है जिसके एक हिस्से को Buy Side Order Book और दूसरे हिस्से को Sell Side Order Book कहते है। 
  1. Good Till Cancel Order: ये वे आर्डर होते है जो तब तक मार्किट में Active रहते है जब तक ट्रेडर उस ट्रेड को खुद कैंसिल न करदे। 
  1. Open Interest (Open Position): Open Interest वो Numbers of Positions होती है जो अब तक मार्किट में Open है आसान भाषा में अगर आपने ट्रेडिंग के लिए कुछ शेयर ख़रीदे है लेकिन अब तक उन्हें बेचा नहीं है तो वह ट्रेड Open Interest में गिना जायेगा। 
  1. Trend: जब कोई शेयर लगातार किसी एक दिशा में बढ़ या गिर रहा हो तो उसे ट्रेंड कहते है।
  1. Support: जब भी कोई स्टॉक नीचे गिर रहा हो तो कुछ Price Point ऐसे होते है जिन पर वह स्टॉक रुकता है और मार्किट यह निर्धारित करता है की अब उस स्टॉक को और गिरना है या रुक जाना है किसी स्टॉक के Support को उसके चार्ट को देखकर पता लगाया जा सकता है। 
  1. Resistance: जब भी कोई स्टॉक ऊपर की तरफ बढ़ रहा हो तो कुछ Price Point ऐसे होते है जिन पर वह स्टॉक रुकता है और मार्किट यह निर्धारित करता है की अब उस स्टॉक को और ऊपर की तरफ बढ़ना है या रुक जाना है किसी स्टॉक के Resistance को उसके चार्ट को देखकर पता लगाया जा सकता है। 
  1. Candlestick/Heikin Ashi: Candlestick और Heikin Ashi चार्ट्स के टाइप है चार्ट्स किसी स्टॉक के मूवमेंट को दिखाते है। 
  1. Indicator: इंडिकेटर एक तरह का प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर होता है जो किसी Share की Price या Volume के Past को देखकर यह एनालिसिस करता है की Future में शेयर का ट्रेंड क्या होगा। 
  1. RSI, MACD: RSI, MACD शेयर बाजार के सबसे फेमस इंडिकेटर है जिनसे ट्रेडर किसी Share का एनालिसिस करते है। 
  1. Moving Average: किसी शेयर प्राइस के एक निश्चित समयावधि के एवरेज को Moving Average कहते है जैसे: 10 दिन  के एवरेज का मतलब यह है की पिछले 10 दिन में वह शेयर कितना बढ़ा और घटा है उसका एवरेज।  
  1. Future Trading: Future में किसी स्टॉक के बढ़ने या घटने का अनुमान लगाकर वर्तमान में ही भविष्य की किसी तारीख पर खरीदने या बेचने का अनुबंध करना Future Trading कहते है। 
  1. Option Trading: Future में किसी स्टॉक के बढ़ने या घटने का अनुमान लगाकर वर्तमान में ही एक छोटी सी राशि का भुगतान कर देना और यह अनुबंध करना की भविष्य की किसी तारीख पर माल खरीद भी सकते है और नहीं भी इसे ऑप्शन ट्रेडिंग(Option trading) कहते है। 
  1. LTP: LTP किसी स्टॉक की वह आखिरी प्राइस होती है जिस पर ट्रेड लिया गया हो LTP को Last Traded Price कहते है। 
  1. Indices: Index शेयर बाजार के मूवमेंट को Measure करने के काम आता है भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख इंडैक्स Nifty, Sensex और Bank Nifty है। 
  1. Pre Opening Section: Share Market ओपन होने से पहले 15 मिनट पहले Pre Opening Section होता है यह Section 9 AM से 9:15 AM तक होता है।
  1. Block Deal: जब एक बार में 5 लाख शेयर या 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदी या बिर्की होती है उसे ब्लॉक डील कहते है। 
  1. Bulk Deal: जब किसी कंपनी के कुल शेयर का .5% से ज्यादा शेयर खरीदी या बिक्री एक बार में होती है उसे बल्क डील कहते है।
  1. Top Gainer: जब कोई शेयर अपनी केटेगरी के बाकि शेयर्स से अच्छा Perform करता है तो उसे उस केटेगरी का Top Gainer कहते है। 
  1. Top Looser: जब कोई शेयर अपनी केटेगरी के बाकि शेयर्स से बेकार Perform करता है तो उसे उस केटेगरी का Top Looser कहते है।
  1. 52 Week High Low: किसी शेयर का 52 Week यानि 365 दिनों के समय अंतराल में क्या High या Low रहा उसे 52 Week High या 52 Week Low कहते है।  
  1. Speculator: स्टॉक मार्केट में बिना किसी Analysis के सिर्फ अनुमान लगाकर खरीदने या बेचने वाले को स्पेक्युलेटर कहते है। 
  1. Breakout: बहुत दिनों तक एक रेंज में ट्रेंड करने वाले शेयर जब उस रेंज तो तोड़कर ऊपर की तरफ या नीचे की तरफ जाना शुरू करते है तो उसे Range Breakout कहते है। 
  1. Short Covering: जब किसी शेयर को मार्किट के द्वारा बहुत ज्यादा Sell कर दिया जाता है तो अपनी Sell पोजीशन बंद करने के लिए उस शेयर को खरीदना होता है ऐसे में उस शेयर में एक छोटी सी रैली आती है जिससे उस शेयर की कीमत बढ़ जाती है जिसे Short Covering कहते है लेकिन ये बढ़त कुछ देर के लिए ही होती है। 
  1. Long Unwinding: जब किसी शेयर को मार्किट के द्वारा बहुत ज्यादा Buy कर लिया जाता है तो अपनी Buy पोजीशन बंद करने के लिए उस शेयर को बेचना होता है ऐसे में उस शेयर की कीमत कम हो जाती है जिसे Long Unwinding कहते है

 

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