कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें,फायदा और नुकसान – Commodity trading meaning in Hindi

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कमोडिटी ट्रेडिंग का मतलब किसी भी कमोडिटी एक्सचेंज पर वर्चुअल तरीके से कच्चे माल या प्राथमिक कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री से होता है। जिसमें कुछ मुख्यकमोडिटी के कुछ उदाहरणों में सोना, चांदी, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, गेहूं और सोयाबीन शामिल हैं। कमोडिटी ट्रेडिंग में वर्चुअल तरीके से सोना, कच्चा तेल आदि जैसी कमोडिटीज को खरीदना और बेचना शामिल है। 

भारत में दो प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज MCX और NCDEX हैं। MCX भारत का सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज है जहाँ कच्चे तेल, सोना और चांदी जैसी गैर-कृषि कमोडिटीज की ट्रेडिंग होती है और NCDEX मुख्य रूप से कृषि कमोडिटीज में ट्रेडिंग करता है।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? – What is commodity trading in Hindi , शेयर मार्केट में कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे की जाती है?, How to do commodity trading in Hindi, कमोडिटी ट्रेडिंग के क्या-क्या फायदे हैं क्या-क्या नुकसान है आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए चलिए विस्तार से जानते हैं 

Commodity trading meaning in Hindi

विषय सूची

कमोडिटी ट्रेडिंग क्या है? – What is commodity trading in Hindi

कमोडिटी ट्रेडिंग से तात्पर्य कमोडिटीज(Commodity) की खरीद और बिक्री से है, जो वाणिज्य में उपयोग की जाने वाली बुनियादी वस्तुएँ हैं जिन्हें अक्सर उसी प्रकार की अन्य वस्तुओं के साथ बदला जा सकता है। कमोडिटीज में गेहूं और कपास जैसे कृषि उत्पाद, सोना और चांदी जैसी धातुएँ, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसी ऊर्जा और अन्य कच्चे माल शामिल हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंजों पर की जाती है, और अक्सर Futures Contracts के माध्यम से की जाती है, जो भविष्य की तारीख पर एक Fixed Price पर कमोडिटी खरीदने या बेचने के समझौते होते हैं।

कमोडिटी ट्रेडिंग रिस्क भरी हो सकती है, क्योंकि कमोडिटीज की कीमतें कम समय में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव कर सकती हैं। हालांकि, यह उन लोगों के लिए लाभदायक भी हो सकता है जिन्हें बाजार की अच्छी समझ है।

कमोडिटी ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है?- Commodity trading meaning in Hindi

कमोडिटी ट्रेडिंग का मतलब कच्चे माल या प्राथमिक कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री से होता है। कमोडिटी के जैसे की सोना, चांदी, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, गेहूं और सोयाबीन शामिल हैं।

1.कमोडिटी ट्रेडिंग उदाहरण के द्वारा जाने 

उदाहरण के लिए मान लीजिए दोस्तों की दो जने हैं एक किसान और एक फैक्ट्री का मालिक: एक जो टमाटर उगाता है और दूसरा जो केचप फैक्ट्री (किसान) का मालिक है।

टमाटर किसान: टमाटर के उतार-चढ़ाव वाले Market price के बारे में चिंतित। यदि मूल्य गिरता है, तो किसान अपनी फसलों पर नुकसान उठा लेगा और अपने पैसे खो देगा।

किसान फैक्ट्री मालिक: टमाटर की बढ़ती लागत के बारे में चिंतित, जिससे केचप के उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी। हालांकि, वे बढ़ी हुई लागत से मेल खाने के लिए अपने केचप की कीमत आसानी से नहीं बढ़ा सकते।

समाधान: कमोडिटी ट्रेडिंग (Futures Contracts)

  • टमाटर किसान और किसान फैक्ट्री मालिक दोनों Futures Contracts में प्रवेश कर सकते हैं। यह Contracts भविष्य की तारीख पर टमाटर के लिए एक Fixed Price पर सहमत होगा।
  • टमाटर किसान के लिए लाभ: मूल्य संरक्षण(Price Protection)। भले ही Market price गिर जाए, किसान को अपने टमाटर को सहमत मूल्य पर बेचने की गारंटी है।
  • किसान फैक्ट्री मालिक के लिए लाभ: कॉस्ट प्रोटेक्शन। भले ही टमाटर का Market price बढ़ जाए, वे सहमत मूल्य पर टमाटर खरीद सकते हैं।
  • यह हेजिंग का एक रूप है, जो दोनों पक्षों को कमोडिटी बाजार में रिस्क और अनिश्चितता का प्रबंधन करने में मदद करता है।

 

अगर आपको इससे कमोडिटी ट्रेडिंग समझ में नहीं आई है तो एक और उदाहरण से समझे जो की है कच्चे तेल अर्थात 

2.कमोडिटी ट्रेडिंग उदाहरण के द्वारा समझे 

उदाहरण में एक ट्रेडर्स शामिल है जो मानता है कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी। वे मौजूदा Market price पर कच्चे तेल के लिए Futures Contracts खरीदते हैं, इस उम्मीद के साथ कि कीमत ₹6900 तक बढ़ जाएगी।

Contracts खरीदना: 

ट्रेडर्स ₹6495 के मौजूदा Market price पर कच्चे तेल के लिए Futures Contracts खरीदता है। यह Contracts भविष्य की तारीख पर एक निश्चित कीमत पर कच्चे तेल की एक निश्चित मात्रा खरीदने के अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है।

लाभ और हानि: 

जैसे-जैसे कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है, Futures Contracts price भी बढ़ता है, और ट्रेडर्स को लाभ होता है। इसके विपरीत, यदि कच्चे तेल की कीमत घटती है, तो Contracts price घटता है, और ट्रेडर्स को नुकसान होता है।

ट्रेडिंग से बाहर निकलना:

 जब कच्चे तेल की कीमत ₹6900 (या कोई अन्य मूल्य जिस पर ट्रेडर्स ट्रेडिंग से बाहर निकलना चाहता है) तक पहुँच जाती है, तो ट्रेडर्स अपने लाभ को प्राप्त करने के लिए Futures Contracts को बेच सकता है। 

मुख्य बिंदु:

  • ट्रेडर्स ने Futures Contracts का उपयोग किया, जो एक प्रकार का डेरिवेटिव है।
  • लाभ या हानि Contracts की खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर से निर्धारित होती है।
  • ट्रेडर्स ने कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का अनुमान लगाया, लेकिन कीमत घट सकती थी, जिसके परिणामस्वरूप नुकसान हुआ।
  • कमोडिटी ट्रेडिंग में रिस्क शामिल हैं, और ट्रेडिंग से पहले बाजार और उन कारकों को समझना महत्वपूर्ण है जो कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • याद रखें, यह कमोडिटी ट्रेडिंग का सिर्फ एक उदाहरण है। कमोडिटीज का ट्रेडिंग करने के कई अन्य तरीके हैं, और विशिष्ट स्ट्रेटजीयाँ और रिस्क कमोडिटी और बाजार की स्थितियों के आधार पर अलग-अलग होंगे।

शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट में क्या अंतर है? – commodity trading vs stock trading in hindi

अंडरलाइंग एसेट्स: 

कमोडिटी ट्रेडिंग में, अंडरलाइंग एसेट्स भौतिक सामान हैं, जबकि स्टॉक ट्रेडिंग में, अंडरलाइंग एसेट्स किसी कंपनी के शेयर हैं।

मार्केट रेगुलेशन: 

कमोडिटी बाजारों को स्टॉक बाजारों की तुलना में अलग-अलग एजेंसियों द्वारा विनियमित किया जाता है।

ट्रेडिंग के घंटे:

 कमोडिटी बाजार अक्सर स्टॉक बाजारों की तुलना में अधिक घंटों के लिए खुले रहते हैं।

 प्राइस वोलैटिलिटी: 

मौसम, भू-राजनीतिक घटनाओं और आपूर्ति और मांग असंतुलन जैसे कारकों के कारण कमोडिटी की कीमतें स्टॉक की कीमतों की तुलना में अधिक अस्थिर हो सकती हैं।

कमोडिटी के प्रकार 

  • ऊर्जा: कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला।
  • आधार धातुएँ: तांबा, एल्युमीनियम और जस्ता।
  • कीमती धातुएँ: सोना, चाँदी और प्लैटिनम।
  • कृषि वस्तुएँ:गेहूँ,सोयाबीन,चना (छोले),चीनी,काली मिर्च,रबर

कमोडिटी ट्रेडिंग में सेबी की क्या भूमिका है?

SEBI, Securities and Exchange Board of India, भारत में कमोडिटी बाजार की देखरेख करने वाली रेगुलेशन संस्था के रूप में कार्य करता है। इसका मतलब है कि यह नियम और विनियम निर्धारित करने, बाजार की गतिविधियों की निगरानी करने और कमोडिटी बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है।

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग की देखरेख के लिए जिम्मेदार प्राथमिक रेगुलेशन निकाय कौन सा है?

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग की देखरेख के लिए जिम्मेदार प्राथमिक रेगुलेशन निकाय Securities and Exchange Board of India (सेबी) है।

भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग का समय

भारत में कमोडिटी मार्केट सुबह 9:00 बजे से रात 11:30 बजे तक खुला रहता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे करें स्टेप टू स्टेप – Commodity trading kaise kare

कमोडिटी ट्रेडिंग में शामिल होने के लिए, इन चरणों का पालन करें:

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें: 

कमोडिटी ट्रेडिंग की पेशकश करने वाले एक प्रतिष्ठित ब्रोकर का चयन करें (जैसे, अपस्टॉक्स, एंजेल वन, 5पैसा)।

एमसीएक्स सेगमेंट एक्टिव करें:

 सुनिश्चित करें कि आपके खाते में गैर-कृषि वस्तुओं के लिए एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) सेगमेंट एक्टिव है। यदि आवश्यक हो तो ग्राहक सेवा से संपर्क करें।

पूर्ण दस्तावेज: 

आय प्रमाण (वेतन पर्ची) और न्यूनतम शेष राशि (जैसे, एमसीएक्स के लिए ₹10,000) दिखाने वाला बैंक स्टेटमेंट जैसे आवश्यक दस्तावेज जमा करें।

ट्रेडिंग ऑप्शनों को समझें: 

Futures ट्रेडिंग (भविष्य की डिलीवरी के लिए Contracts) और ऑप्शन ट्रेडिंग (Fixed Price पर खरीदने/बेचने का अधिकार) के बारे में जानें।

कमोडिटी चुनें: 

तय करें कि किन कमोडिटी का ट्रेडिंग करना है (जैसे, कच्चा तेल, सोना, चांदी, कृषि उत्पाद)।

मार्जिन और लॉट सीखें: 

मार्जिन आवश्यकताओं (ट्रेडिंग करने के लिए आवश्यक राशि) और लॉट आकार (मानकीकृत मात्रा) को समझें।

टेक्निकल एनालिसिस का अध्ययन करें: 

 प्राइस चार्ट का एनालिसिस करने और सूचित निर्णय लेने के लिए इंस्ट्रूमेंट और और टेक्निकल सीखें।

ट्रेडिंग शुरू करें: 

एक बार तैयार होने के बाद, अपने ब्रोकर के प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेडिंग शुरू करें। छोटे से शुरू करें और अनुभव प्राप्त करने के साथ-साथ धीरे-धीरे अपने निवेश को बढ़ाएँ।

अपनी कमोडिटी चुनें:

 अपने ज्ञान, रिस्क उठाने की क्षमता और बाजार एनालिसिस के आधार पर तय करें कि आप किन कमोडिटी में ट्रेडिंग करना चाहते हैं। लोकप्रिय ऑप्शनों में सोना, चांदी, कच्चा तेल और कृषि उत्पाद शामिल हैं।

एक ट्रेडिंग स्ट्रेटजी डेवलपकरें: 

एक अच्छी तरह से परिभाषित ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बनाएं जिसमें प्रवेश और निकास बिंदु, रिस्क मैनेजमेंट तकनीक और लाभ लक्ष्य शामिल हों। बाजार के रुझान, टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस जैसे कारकों पर विचार करें।

ऑर्डर दें:

 चुने गए कमोडिटी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के लिए खरीद या बिक्री ऑर्डर देने के लिए अपने ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करें।

रिस्क की निगरानी और मैनेजमेंट करें: 

अपनी स्थिति की बारीकी से निगरानी करें और आवश्यकतानुसार अपनी स्ट्रेटजी को समायोजित करें। संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर जैसी रिस्क मैनेजमेंट तकनीकों को लागू करें। रिस्क को फैलाने के लिए अलग-अलग कमोडिटी में ट्रेडिंग करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाएं।

याद रखें, कमोडिटी ट्रेडिंग में रिस्क शामिल है। अच्छी तरह से रिसर्च करें, मार्केट को समझें और अपने रिस्कों को प्रभावी ढंग से मैनेज करें।

याद रखें, कमोडिटी ट्रेडिंग में काफी रिस्क शामिल है। निवेश करने से पहले खुद को अच्छी तरह से शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। अनुभवी ट्रेडर्स या वित्तीय सलाहकारों से मार्गदर्शन लेने पर विचार करें।

कमोडिटी ट्रेडिंग के फायदे – commodity trading benefits in hindi

कमोडिटी ट्रेडिंग के निम्नलिखित फायदे हैं 

लंबे समय तक ट्रेडिंग का समय: 

कमोडिटी मार्केट सुबह 9:00 बजे से रात 11:30 बजे तक खुला रहता है, जो स्टॉक मार्केट की तुलना में ट्रेड करने के लिए ज़्यादा अवसर प्रदान करता है, जो सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक ही खुला रहता है।

वर्चुअल ट्रेडिंग: 

एंजेल वन और जीरोधा जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेड करें, जिससे भौतिक भंडारण और परिवहन लागत खत्म हो जाती है।

उच्च लाभ की संभावना: 

कमोडिटी की कीमतें अस्थिर हो सकती हैं, अगर आप मार्केट को समझते हैं और सूचित ट्रेडिंग निर्णय लेते हैं तो महत्वपूर्ण लाभ की संभावना प्रदान करते हैं।

विविधीकरण: 

कमोडिटी ट्रेडिंग पारंपरिक स्टॉक और बॉन्ड से परे आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद कर सकती है।

हेजिंग के अवसर: 

कमोडिटी ट्रेडिंग व्यवसायों को कच्चे माल में मूल्य में उतार-चढ़ाव के खिलाफ़ बचाव करने की अनुमति देती है, जिससे उनका रिस्क कम हो जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस कौशल का परीक्षण और सुधार: 

कमोडिटी मार्केट टेक्निकल एनालिसिस कौशल का परीक्षण और सुधार करने के लिए एक अच्छी जगह है क्योंकि कीमतें वैश्विक कारकों और रुझानों पर निर्भर करती हैं।

वक्ता यह भी संकेत देते हैं कि कमोडिटी ट्रेडिंग फुल टाइम  पेशे के रूप में ट्रेडिंग में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अच्छा करियर ऑप्शन हो सकता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान – commodity trading disadvantages in hindi

 कमोडिटी ट्रेडिंग के कुछ संभावित नुकसान इस प्रकार हैं:

High risk और volatility: 

कमोडिटी की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हो सकती हैं, जिससे संभावित नुकसान के साथ-साथ लाभ भी हो सकता है। वैश्विक घटनाएँ, मौसम और अन्य कारक कीमतों में तेज़ी से उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं।

मार्जिन आवश्यकताएँ:

कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए अक्सर महत्वपूर्ण मार्जिन जमा की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि आपको कुछ अन्य निवेशों की तुलना में आरंभ करने के लिए अधिक मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है।

मार्जिन ट्रेडिंग नुकसान को बढ़ाती है

: कमोडिटी ट्रेडिंग में अक्सर मार्जिन शामिल होता है, जो लाभ और हानि दोनों को बढ़ा सकता है। यदि बाजार आपकी स्थिति के विरुद्ध चलता है, तो आप अपने शुरुआती निवेश से अधिक खो सकते हैं।

जटिलता: 

कमोडिटी बाज़ार, Futures Contracts, ऑप्शन और कीमतों को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को समझना जटिल हो सकता है और इसके लिए सीखने की आवश्यकता होती है।

हेरफेर की संभावना: 

विनियमित होने के बावजूद, कमोडिटी बाज़ार बड़े ट्रेडिंगियों या कार्टेल द्वारा हेरफेर के लिए अतिसंवेदनशील हो सकते हैं, जो कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं और छोटे ट्रेडिंगियों के लिए अनुचित परिस्थितियाँ पैदा कर सकते हैं।

विशेष ज्ञान की आवश्यकता है: 

सफल कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए ट्रेड की जा रही विशिष्ट कमोडिटी की गहरी समझ के साथ-साथ बाजार के रुझान और भू-राजनीतिक कारकों की भी आवश्यकता होती है जो कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।

कुछ बाज़ारों के लिए सीमित समय:

 जबकि कुल कमोडिटी ट्रेडिंग के घंटे शेयर बाज़ार से अधिक लंबे होते हैं, विशिष्ट कमोडिटीज़ का ट्रेडिंग केवल कुछ निश्चित समय के दौरान ही किया जा सकता है, जिससे पहुँच सीमित हो जाती है।

याद रखें, ये केवल कुछ संभावित नुकसान हैं, और कमोडिटी ट्रेडिंग में शामिल होने से पहले अपना खुद का रिसर्च करना और रिस्कों पर सावधानीपूर्वक विचार करना महत्वपूर्ण है।

कमोडिटी ट्रेडिंग टिप्स – commodity trading tips in hindi

कमोडिटीज़ को समझें: 

कमोडिटीज़ प्राकृतिक संसाधन हैं जैसे सोना, तेल और कृषि उत्पाद। इनकी कीमतें कमांड और सप्लाई के आधार पर उतार-चढ़ाव करती हैं।

लॉट साइज़: 

प्रत्येक कमोडिटी का एक लॉट साइज़ होता है, जो वह न्यूनतम मात्रा है जिसका आप ट्रेडिंग कर सकते हैं। छोटे निवेशों के लिए मिनी लॉट साइज़ पर विचार करें।

टिक साइज़: 

टिक साइज़ किसी कमोडिटी के लिए न्यूनतम प्राइस मूवमेंट है। यह आपके लाभ और हानि की गणना को प्रभावित करता है।

रिस्क मैनेजमेंट:

 कमोडिटी ट्रेडिंग अत्यधिक अस्थिर है। संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर जैसी रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रेटजीयों का उपयोग करें।

छोटी शुरुआत करें: 

अगर आप कमोडिटी ट्रेडिंग में नए हैं, तो छोटे निवेश से शुरुआत करें और जैसे-जैसे आपको अनुभव मिलता है, धीरे-धीरे अपने निवेश को बढ़ाते जाएँ।

जानकारी रखें: 

कमोडिटी की कीमतों को प्रभावित करने वाली बाज़ार की खबरों और घटनाओं से अपडेट रहें।याद रखें, कमोडिटी ट्रेडिंग में काफ़ी रिस्क शामिल हैं। निवेश करने से पहले रिसर्च करना और बाज़ार को समझना बहुत ज़रूरी है।

मार्केट को समझें:

 विभिन्न प्रकार की कमोडिटीज, उनका ट्रेडिंग कैसे किया जाता है और उनकी कीमतों को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानें।

पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत करें:

 असली पैसे को रिस्क में डालने से पहले, अनुभव प्राप्त करने और अपनी स्ट्रेटजीयों का परीक्षण करने के लिए एक नकली खाते के साथ ट्रेडिंग का अभ्यास करें।

टेक्निकल एनालिसिस सीखें: 

कमोडिटी बाजार में प्राइस मूवमेंट की भविष्यवाणी करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है।

रिस्क का मैनेजमेंट करें: 

अपनी पूंजी की सुरक्षा के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर और अन्य रिस्क मैनेजमेंट तकनीकों का उपयोग करें।

एक प्रतिष्ठित ब्रोकर चुनें: 

एक ब्रोकर चुनें जो एक अच्छा प्लेटफ़ॉर्म, प्रतिस्पर्धी शुल्क और विश्वसनीय ग्राहक सेवा प्रदान करता हो।

धैर्य रखें: 

जल्दी अमीर बनने की उम्मीद न करें। कमोडिटी ट्रेडिंग में महारत हासिल करने में समय और प्रयास लगता है।

याद रखें, ये टिप्स सिर्फ़ एक शुरुआती बिंदु हैं। अपना खुद का रिसर्च करना और एक ट्रेडिंग स्ट्रेटजी डेवलपकरना महत्वपूर्ण है जो आपके व्यक्तिगत लक्ष्यों और रिस्क सहनशीलता के अनुकूल हो।

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