DP Charge क्या होते हैं? प्रकार और उद्देश्य ,डीपी चार्जेस से बचने के Tips – DP Charges Meaning in Hindi

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DP charge डिपॉज़िटरी (CDSL और NSDL) को Demat account में शेयर रखने के लिए दिए जाने वाले चार्ज हैं। DP का मतलब है डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट, और ये चार्ज शेयर बेचने पर लगते हैं। DP charge के दो प्रकार क्यों होते हैं: डिपॉज़िटरी चार्ज और ब्रोकर चार्ज। डिपॉज़िटरी चार्ज प्रति शेयर एक समान चार्ज है, जबकि ब्रोकर चार्ज अलग-अलग होते हैं।

आजकल शेयर मार्केट में बहुत सारे शेयर मार्केट में ब्रोकर मौजूद है और यह ब्रोकर बहुत प्रकार के अलग-अलग चार्ज वसूलते हैं इन्हीं में से एक है शेयर खरीदने पर लगने वाला डीपी चार्ज अर्थात डिपॉजिटरी शुल्क , दोस्तों अगर आप भी जानना चाहते हैं की डीपी चार्जेस क्या है? – what is dp charges in hindi,डीपी चार्ज का मतलब क्या होता है? – dp charges meaning in hindi, और डीपी चार्जेस कब-कब लगते हैं चलिए विस्तार से जानते हैं 

DP Charges Meaning in Hindi

DP charge क्या होते हैं? – DP charges meaning in hindi

 डीपी चार्ज, जिसका मतलब है डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज, वे चार्ज हैं जो Demat account में शेयर(Share) बेचने पर लगते हैं। इन चार्जों को दो भागों में विभाजित किया जाता है: एक हिस्सा डिपॉजिटरी (NSDL या CDSL) को जाता है जो आपके Demat account को बनाए रखता है, और दूसरा हिस्सा ब्रोकर को जाता है।

 डिपॉजिटरी चार्ज आम तौर पर प्रति स्क्रिप (कंपनी के बेचे गए प्रत्येक शेयर) के लिए एक निश्चित चार्ज होता है, जो ₹4.50 से ₹5.50 तक होता है। ब्रोकर चार्ज परिवर्तनशील होते हैं और ब्रोकर के आधार पर प्रति स्क्रिप ₹1 से ₹20 या उससे अधिक हो सकते हैं। डिपॉजिटरी और ब्रोकर चार्ज के योग पर 18% जीएसटी भी लागू होता है। डीपी चार्ज केवल शेयर बेचते समय लागू होते हैं, उन्हें खरीदते समय नहीं।

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट क्या होते हैं? – depository participant meaning in hindi

डिपॉजिटरी एक वित्तीय संस्था है जो निवेशकों के लिए Securities रखती है। यह बैंक, ब्रोकरेज फर्म या ट्रस्ट कंपनी हो सकती है। डिपॉजिटरी निवेशकों को अपनी Securities को संग्रहीत करने के लिए एक सुरक्षित और सुरक्षित स्थान प्रदान करती है, और वे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को मैनेजर करने में मदद करने के लिए कई तरह की सेवाएँ भी प्रदान करती हैं। 

डीपी चार्जेस कब लगते हैं

डीपी चार्ज या डिपॉजिटरी प्रतिभागी चार्ज, शेयर बेचने पर लगने वाले चार्ज हैं। इन चार्जों को दो भागों में विभाजित किया जाता है: एक हिस्सा डिपॉजिटरी को जाता है और दूसरा हिस्सा ब्रोकर को जाता है। डीपी चार्ज की राशि ब्रोकर के आधार पर अलग-अलग होती है, लेकिन वे आम तौर पर ₹12.50 से ₹50 तक होती है। कुछ ब्रोकर ऐसे प्लान ऑफ़र करते हैं जिनमें फ्री डीपी चार्ज शामिल होते हैं।

  • डिपॉजिटरी चार्ज: यह चार्ज भारत में दो डिपॉजिटरी में से एक, NSDL या CDSL को जाता है, जो आपके Demat account को बनाए रखते हैं। यह चार्ज आम तौर पर ₹4.50 से ₹5.50 तक होता है।
  • ब्रोकर चार्ज: यह चार्ज ब्रोकर को जाता है। यह ब्रोकर के आधार पर ₹1 से ₹20 तक हो सकता है।
  • जीएसटी: इन चार्जों के ऊपर 18% जीएसटी लगाया जाएगा।

इन चार्जों के अलावा, 18% GST भी लागू होता है। डीपी चार्ज केवल शेयर बेचते समय लगाया जाता है, उन्हें खरीदते समय नहीं। वे आम तौर पर शेयरों की डिलीवरी एग्जीक्यूट होने के 3+2 दिनों के बाद आपके डिमैट अकाउंट में दिखाई देते हैं।

डीपी चार्ज केवल शेयर बेचते समय लागू होते हैं; शेयर खरीदते समय वे लागू नहीं होते हैं। ये चार्ज आपके डिलीवरी एग्जीक्यूट होने के 3+2 दिन बाद आपके लेज़र में दिखाई देंगे।

डिपॉजिटरी चार्ज का उद्देश्य क्या है?

 डिपॉजिटरी चार्ज का उद्देश्य निवेशकों के शेयरों को डीमैटेरियलाइज्ड फॉर्म में बनाए रखने और उनकी सुरक्षा से जुड़ी लागतों को कवर करना है। CDSL और NSDL जैसी डिपॉजिटरी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयर रखने, उनके ट्रांसफर की सुविधा देने और इन होल्डिंग्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करती हैं।

एकत्र किए गए चार्ज इन डिपॉजिटरी की परिचालन लागत में योगदान करते हैं, जिससे वे इन सेवाओं के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और प्रणालियों को बनाए रखने में सक्षम होते हैं।

डीपी चार्ज की कैलकुलेशन कैसे की जाती है?

 

  • शेयर बेचते समय डीपी चार्ज की गणना प्रति स्क्रिप (प्रति कंपनी) के आधार पर की जाती है। इनमें दो मुख्य घटक होते हैं:
  • डिपॉजिटरी चार्ज: ₹4.50 से ₹5.50 प्रति स्क्रिप तक का एक निश्चित चार्ज, जो आपके शेयर रखने वाली डिपॉजिटरी (NSDL या CDSL) को दिया जाता है।
  • ब्रोकर चार्ज: ब्रोकर द्वारा निर्धारित एक परिवर्तनीय चार्ज, जो प्रति स्क्रिप ₹1 से ₹20 या उससे अधिक होता है।
  • इनके अलावा, डिपॉजिटरी और ब्रोकर चार्ज के कुल योग पर 18% GST लगाया जाता है।

मुख्य बिंदु:

  • डीपी चार्ज केवल शेयर बेचते समय लगते हैं, खरीदते समय नहीं।
  • ब्रोकर की फीस के आधार पर प्रति स्क्रिप कुल डीपी चार्ज अलग-अलग होता है।
  • आप एक ही लेन-देन में बेचे जाने वाले प्रत्येक कंपनी के शेयरों के लिए डीपी चार्ज का भुगतान करेंगे।
  • उदाहरण के लिए, 5 अलग-अलग कंपनियों के शेयर बेचने पर उन 5 कंपनियों में से प्रत्येक के लिए डीपी चार्ज लगेगा, भले ही प्रत्येक कंपनी ने कितने भी शेयर बेचे हों।
  • अपने ब्रोकर से उनके विशिष्ट DP Charges की जांच करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये काफी भिन्न हो सकते हैं।

 

DP charge कैसे बचें? 

नहीं, Demat account में शेयर बेचते समय DP charge से पूरी तरह से बचा नहीं जा सकता है। वे डिपॉजिटरी और ब्रोकर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से जुड़े एक अनिवार्य चार्ज हैं।

 हालाँकि, आप DP charge के प्रभाव को कम कर सकते हैं: 

कम DP charge वाले ब्रोकर का चयन करना:

 अलग-अलग ब्रोकर के DP charge अलग-अलग होते हैं। डीमैट खाता खोलने से पहले अलग-अलग ब्रोकर के चार्ज की तुलना करें।

 फ्री DP के साथ ब्रोकरेज प्लान चुनना: 

कुछ ब्रोकर विशेष योजनाएँ या स्कीम ऑफ़र करते हैं जिनमें फ्री DP charge शामिल होते हैं, खासकर उच्च-मात्रा वाले व्यापारियों के लिए। 

अपनी होल्डिंग्स को समेकित करना:

 शेयरों को लंबी अवधि तक होल्ड करके और उन्हें बड़ी मात्रा में बेचकर, आप DP charge के प्रति-शेयर प्रभाव को कम कर सकते हैं। याद रखें, DP charge केवल शेयर बेचते समय लागू होते हैं, उन्हें खरीदते समय नहीं।

 हालाँकि आप उन्हें पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते, लेकिन चार्जों के बारे में जागरूक होना और सोच-समझकर निर्णय लेना आपके निवेश पर उनके प्रभाव को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

आपको कितनी बार DP charge देना पड़ता है?

हर बार जब आप अपने Demat account से शेयर बेचते हैं तो DP charge लगता है। यह प्रति लेनदेन चार्ज है, न कि एक बार या आवधिक चार्ज।

 

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