कॉल और पुट ऑप्शन फाइनेंशियल डेरिवेटिव्स हैं जो खरीदार को एक अंडरलाइंग एसेट्स (जैसे स्टॉक या इंडेक्स) को एक निश्चित तारीख (एक्सपायरी डेट) तक एक विशिष्ट मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन दायित्व नहीं। कॉल ऑप्शन धारक को अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार देता है। कॉल ऑप्शन के Buyers यह अनुमान लगाते हैं कि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत बढ़ेगी।
पुट ऑप्शन धारक को अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार देता है। ट्रेडर्स कॉल ऑप्शन का उपयोग तब करते हैं जब उन्हें लगता है कि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत बढ़ेगी, और पुट ऑप्शन का उपयोग तब करते हैं जब उन्हें लगता है कि यह घटेगी।
शेयर मार्केट में कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन क्या है? call and put options explained in hindi, ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन क्या होता है चलिए विस्तार से जानते हैं कि आपको किसका चुनाव करना चाहिए उनके फायदे और नुकसान क्या है
शेयर मार्केट में कॉल और पुट क्या होता है? – call or put option trading in hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग(Option trading) में कॉल और पुट ऑप्शन फाइनेंशियल डेरिवेटिव हैं जो Buyers को एक निश्चित तारीख (एक्सपायरी डेट) पर या उससे पहले एक स्पेशल प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर एक अंडरलाइंग एसेट्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन दायित्व नहीं। कॉल ऑप्शन धारक को अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार देता है, जबकि पुट ऑप्शन धारक को अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार देता है।
एक ऑप्शन की कीमत, जिसे प्रीमियम कहा जाता है, अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत, स्ट्राइक प्राइस, Expiry time और बाजार की अस्थिरता जैसे कारकों से प्रभावित होती है। ऑप्शन ट्रेडिंग जटिल हो सकती है और इसमें रिस्क शामिल हो सकते हैं, जिसमें पूरे निवेश का संभावित नुकसान भी शामिल है।
कॉल ऑप्शन क्या है ? – call option in hindi
कॉल ऑप्शन एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट है जो Buyers को एक निश्चित समय सीमा (एक्सपायरी डेट तक) के भीतर एक पूर्व निर्धारित मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर अंडरलाइंग एसेट्स (जैसे Stock or commodity या कमोडिटी) की एक विशिष्ट मात्रा खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
कॉल ऑप्शन के बारे में मुख्य बिंदु:
- खरीदने का अधिकार: Buyers के पास अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार है, लेकिन दायित्व नहीं।
- स्ट्राइक प्राइस: वह पूर्व निर्धारित मूल्य जिस पर Buyers एसेट्स खरीद सकता है।
- एक्सपायरी डेट: वह तिथि जिस पर ऑप्शन समाप्त हो जाता है और अब मान्य नहीं है।
- प्रीमियम: वह मूल्य जो Buyers कॉल ऑप्शन के लिए चुकाता है।
- लाभ की संभावना: यदि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर उठती है, तो Buyers ऑप्शन का उपयोग कर सकता है और एसेट्स को कम स्ट्राइक प्राइस पर खरीद सकता है, फिर इसे लाभ के लिए High market value पर बेच सकता है।
- लिमिटेड रिस्क: Buyers के लिए अधिकतम नुकसान ऑप्शन के लिए पेमेंट किया गया प्रीमियम है।
कॉल ऑप्शन का उपयोग
कॉल ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब ट्रेडर्स को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत बढ़ेगी। यदि एसेट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर उठती है तो उन्हें लाभ होता है, क्योंकि वे एसेट्स को कम कीमत पर खरीद सकते हैं और इसे बाजार मूल्य पर बेच सकते हैं। Buyers के लिए अधिकतम नुकसान पेमेंट किया गया प्रीमियम है। ऑप्शन प्रीमियम विभिन्न कारकों के आधार पर उतार-चढ़ाव करता है और ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क शामिल होता है।
कॉल ऑप्शन कब खरीदें – call option kab kharidna chahiye
दस्तावेज़ के आधार पर, कॉल ऑप्शन कब खरीदें, इसके कुछ संकेतक इस प्रकार हैं:
- मोमेंटम स्विंग इंडिकेटर: जब मोमेंटम स्विंग इंडिकेटर, खास तौर पर डेली स्विंग, 20 से नीचे चला जाता है, तो यह संकेत देता है कि बाजार ओवरसोल्ड है। कॉल ऑप्शन खरीदने का यह अच्छा समय है, क्योंकि Buy का अवसर बनता है। 10 से नीचे का रीडिंग बहुत ओवरसोल्ड माना जाता है, जो इसे एक मजबूत Buyersी संकेत बनाता है।
- डेली स्विंग और औसत स्विंग का संयोजन: जब डेली स्विंग और औसत स्विंग दोनों इंडिकेटर ओवरसोल्ड (20 से नीचे) होते हैं, तो यह कॉल ऑप्शन खरीदने के लिए एक मजबूत पुष्टि संकेत बनाता है।
- सेंटीमेंट इंडिकेटर एंड हिस्टोरिक डाटा : भावना संकेतकों को ऐतिहासिक डेटा के साथ संयोजित करने से बाजार के ट्रेंडऔर संभावित उलटफेर के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिल सकती है। अगर भावना संकेतक तेजी के ट्रेंडका सुझाव देते हैं और ऐतिहासिक डेटा इसका समर्थन करता है, तो कॉल ऑप्शन खरीदने का यह अच्छा समय हो सकता है।
- बाजार का माहौल: जब बाजार में तेजी हो और उसमें तेजी आने की उम्मीद हो, तो कॉल ऑप्शन खरीदने से आप संभावित रूप से ऊपर की ओर बढ़ने से लाभ उठा सकते हैं।
याद रखें: ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क शामिल है, और कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले रिसर्च करना और कई कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
पुट ऑप्शन क्या होता है? – put option meaning in hindi
पुट ऑप्शन एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट है जो Buyers को एक निश्चित समय अवधि (एक्सपायरी डेट) के भीतर एक स्पेशल प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर अंडरलाइंग एसेट्स (जैसे स्टॉक या इंडेक्स) को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
पुट ऑप्शन के बारे में मुख्य बिंदु:
- बेचने का अधिकार: Buyers के पास अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार है, लेकिन दायित्व नहीं।
- स्ट्राइक प्राइस: वह पूर्व निर्धारित मूल्य जिस पर Buyers एसेट्स को बेच सकता है।
- एक्सपायरी डेट: वह तिथि जिस पर ऑप्शन समाप्त हो जाता है और अब मान्य नहीं है।
- प्रीमियम: वह मूल्य जो Buyers पुट ऑप्शन के लिए चुकाता है।
- लाभ की संभावना: यदि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है, तो Buyers ऑप्शन का प्रयोग कर सकता है और एसेट्स को उच्च स्ट्राइक प्राइस पर बेच सकता है, फिर लाभ के लिए इसे कम बाजार मूल्य पर वापस खरीद सकता है।
- लिमिटेड रिस्क: Buyers के लिए अधिकतम नुकसान ऑप्शन के लिए पेमेंट किया गया प्रीमियम है।
- पुट ऑप्शन का उपयोग विभिन्न कारणों से किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- अटकलबाजी: अंडरलाइंग एसेट्स में अपेक्षित मूल्य में कमी से लाभ कमाना।
- हेजिंग: अंडरलाइंग एसेट्स में मौजूदा शॉर्ट पोजीशन में संभावित नुकसान से बचाव के लिए।
पुट ऑप्शन का उपयोग
पुट ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब ट्रेडर्स को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत कम हो जाएगी।यदि एसेट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है तो Buyers को लाभ होता है, क्योंकि वे एसेट्स को उच्च मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर बेच सकते हैं और इसे बाजार मूल्य पर वापस खरीद सकते हैं।
Buyers के लिए अधिकतम नुकसान ऑप्शन के लिए चुकाया गया प्रीमियम है। पुट ऑप्शन का उपयोग स्पैक्यूलेशन, हेजिंग और इनकम जनरेट स्ट्रेटजीयों के लिए किया जा सकता है।
पुट ऑप्शन कब खरीदना चाहिए
यहाँ कुछ संकेतक दिए गए हैं कि पुट ऑप्शन कब खरीदें:
- मोमेंटम स्विंग इंडिकेटर 90 या 80 से ऊपर: जब मोमेंटम स्विंग इंडिकेटर, खास तौर पर डेली स्विंग, 90 या 80 से ऊपर चला जाता है, तो यह बताता है कि बाजार ओवरबॉट है। पुट ऑप्शन खरीदने पर विचार करने के लिए यह एक अच्छा समय है, क्योंकि बाजार के अगले दिनों में स्थिर होने या सुधार का अनुभव करने की संभावना है।
- FIA नेट पोजीशन इंडिकेटर: जब Foreign Institutional Investors (FII) के पास बड़ी नेट लॉन्ग पोजीशन होती है, तो यह ओवरबॉट मार्केट का संकेत दे सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि FII को अक्सर स्मार्ट मनी माना जाता है, और उनकी अत्यधिक लॉन्ग पोजीशन संभावित बाजार उलटफेर का संकेत दे सकती है।
- भावना संकेतक और ऐतिहासिक डेटा: ऐतिहासिक डेटा के साथ भावना संकेतकों को मिलाकर बाजार के ट्रेंडऔर संभावित उलटफेर के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिल सकती है। यदि भावना संकेतक मंदी की प्रवृत्ति का संकेत देते हैं और ऐतिहासिक डेटा इसका समर्थन करता है, तो पुट ऑप्शन खरीदने का यह एक अच्छा समय हो सकता है।
याद रखें: ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क शामिल है, और निवेश निर्णय लेने से पहले अपना रिसर्च करना और कई कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
ऑप्शन और अंडरलाइंग एसेट्स के बीच संबंध:
कॉल ऑप्शन: कॉल ऑप्शन धारक को एक निश्चित तिथि (एक्सपायरी डेट) तक एक स्पेशल प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर अंडरलाइंग एसेट्स खरीदने का अधिकार देता है। अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत बढ़ने पर कॉल ऑप्शन का मूल्य आम तौर पर बढ़ जाता है।
पुट ऑप्शन: पुट ऑप्शन धारक को एक्सपायरी डेट तक स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग एसेट्स को बेचने का अधिकार देता है। अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत गिरने पर पुट ऑप्शन का मूल्य आम तौर पर बढ़ जाता है।
मुख्य बिंदु:
- अंडरलाइंग एसेट्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की नींव है।
- अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत ऑप्शन की कीमत (प्रीमियम) को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है।
- ऑप्शन व्यापारियों को सूचित व्यापारिक निर्णय लेने के लिए अंडरलाइंग एसेट्स की कीमत की गतिविधियों, अस्थिरता और अन्य कारकों का एनालिसिस करने की आवश्यकता होती है।
याद रखें: सफल ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ऑप्शन और उसकी अंडरलाइंग एसेट्स के बीच संबंध को समझना महत्वपूर्ण है।
जब कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से ऊपर चला जाता है तो क्या होता है?
जब कॉल ऑप्शन की अंडरलाइंग एसेट्स स्ट्राइक प्राइस से ऊपर चली जाती है, तो ऑप्शन इन द मनी (ITM) बन जाता है। इसका मतलब है कि ऑप्शन में आंतरिक मूल्य होता है, क्योंकि धारक स्ट्राइक प्राइस पर एसेट्स खरीदने के लिए ऑप्शन का इस्तेमाल कर सकता है और तुरंत लाभ के लिए High market value पर बेच सकता है। ऑप्शन का प्रीमियम भी इस आंतरिक मूल्य को दर्शाएगा, जो एसेट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर जाने पर बढ़ता है।