इक्विटी म्यूचुअल फंड और डेट म्यूचुअल फंड के बीच बहुत सारे अंतर होते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड फंड हैं जो निवेशकों को लिस्टेड और गैर-लिस्टेड कंपनियों में शेयर खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड पर रिटर्न मार्केट परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है, जबकि डेट म्यूचुअल फंड अधिक स्थिर रिटर्न देते हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि के इन्वेस्टमेंट टाइमिंग और ज्यादा रिस्क उठाने की कैपिसिटी वाले निवेशकों के लिए आदर्श हैं, जबकि डेट म्यूचुअल फंड कम रिस्क उठाने की क्षमता वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं।
आज के समय इक्विटी म्युचुअल फंड और डेट म्युचुअल फंड काफी ज्यादा प्रसिद्ध हो चुके हैं दोनों में ही अपने फायदे हैं अपने नुकसान हैं और दोनों ही काफी ज्यादा अच्छा रिटर्न देते हैं तो ऐसे में ज्यादातर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं और जानना चाहते हैं कि equity vs debt fund in hindi, इक्विटी और डेट फंड में अंतर क्या-क्या है आपको किस प्रकार के फंड का चुनाव करना चाहिए चलिए विस्तार से जानते हैं

equity vs debt fund in hindi – इक्विटी और डेट फंड में क्या अंतर है?
Equity Funds | Debt Funds |
निवेश का फोकस: कंपनियों के शेयर | निवेश का फोकस: फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज जैसे बॉन्ड |
रिटर्न: मार्केट परफॉर्मेंस पर निर्भर, हाई रिटर्न की संभावना लेकिन ज्यादा रिस्क | रिटर्न: कम लेकिन स्थिर रिटर्न, मार्केट में उतार-चढ़ाव का कम असर |
रिस्क: ज्यादा रिस्क, मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित | रिस्क: कम रिस्क, फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश के कारण |
एक्सपेंस रेश्यो: ज्यादा, एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के कारण | एक्सपेंस रेश्यो: कम, कम एक्टिव मैनेजमेंट के कारण |
टैक्स: होल्डिंग पीरियड और गेन के प्रकार पर निर्भर | टैक्स: होल्डिंग पीरियड और गेन के प्रकार पर निर्भर |
निवेश का समय: लॉन्ग टर्म के लिए उपयुक्त | निवेश का समय: शॉर्ट और मिड टर्म के लिए उपयुक्त |
टैक्स बेनिफिट्स: कुछ फंड्स में टैक्स बेनिफिट्स उपलब्ध | टैक्स बेनिफिट्स: आमतौर पर टैक्स बेनिफिट्स नहीं मिलते |
किसी भी प्रकार के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)में निवेश करते समय विचार करने वाले कारकों में फंड का आकार, एक्सपेंस रेशों और रिस्क रिवॉर्ड रेशों शामिल हैं। अंततः, किसी व्यक्तिगत निवेशक के लिए सबसे अच्छा प्रकार का म्यूचुअल फंड उनके फाइनेंशियल गोल और रिस्क उठाने की कैपिसिटी पर निर्भर करेगा।
equity and debt funds के प्रकार
इक्विटी फंड (Equity fund) और डेट फंड (Debt fund) भारत में म्यूचुअल फंड के दो मुख्य प्रकार हैं। डेट फंड बॉन्ड जैसी निश्चित आय वाली Securities में निवेश करते हैं, जो इंटरेस्ट पेमेंट के माध्यम से रेगुलर इनकम प्रदान करते हैं और इन्हें कम रिस्क वाला माना जाता है। इक्विटी फंड कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं, जो ज्यादा संभावित रिटर्न प्रदान करते हैं लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण ज्यादा रिस्क भी उठाते हैं।
डेट फंड को परिपक्वता तिथि और डेट इंस्ट्रूमेंट के प्रकार जैसे कारकों के आधार पर क्लासिफाइड किया जाता है। सामान्य प्रकारों में ओवरनाइट फंड, लिक्विड फंड (Liquid fund) और अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड शामिल हैं। इक्विटी फंड को बाजार पूंजीकरण (Market capitalisation) (लार्ज-कैप, मिड-कैप, स्मॉल-कैप), निवेश शैली (एक्टिव या passive) और टैक्स बेनिफिट्स जैसे कारकों के आधार पर क्लासिफाइड किया जाता है।
डेट और इक्विटी फंड के बीच चयन पर्सनल फाइनेंशियल गोल और रिस्क उठाने की कैपिसिटी पर निर्भर करता है। डेट फंड रेगुलर इनकम और कैपिटल प्रिजर्वेशन चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं, जबकि इक्विटी फंड लॉन्ग टर्म धन सृजन (wealth creation) के लिए बेहतर हैं। किसी के फाइनेंसियल उद्देश्यों के अनुरूप सूचित निवेश निर्णय लेने के लिए इन फंडों के बीच अंतर को समझना महत्वपूर्ण है।
difference between equity and debt funds in hindi – इक्विटी फंड और डेट फंड के बीच अंतर
इक्विटी म्यूचुअल फंड और डेट म्यूचुअल फंड भारत में पेश किए जाने वाले दो अलग-अलग प्रकार के निवेश साधन हैं, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग निवेश उद्देश्यों और रिस्क प्रोफाइल के अनुसार तैयार किया गया है। यहाँ उनके मुख्य अंतरों का विवरण दिया गया है:
निवेश के आधार पर
इक्विटी फंड मुख्य रूप से कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं, जिसका उद्देश्य पर्याप्त रिटर्न उत्पन्न करना है। हालाँकि, ज्यादा रिटर्न की यह खोज बाजार की अस्थिरता के प्रति अधिक रिस्क के साथ आती है। इसके विपरीत, डेट फंड बॉन्ड (bond) जैसे फिक्स्ड-इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में कैपिटल एलॉटेड करते हैं, जो इक्विटी की तुलना में कम रिस्क के साथ स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं।
रिटर्न के आधार पर
इक्विटी फंड से मिलने वाला रिटर्न बाजार की मोबिलिटी और फंड के पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियों के प्रदर्शन से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है। जबकि उनमें महत्वपूर्ण ग्रोथ की कैपिसिटी है, वे बाजार की स्थितियों के आधार पर उतार-चढ़ाव के प्रति भी सेंसिटिव हैं।
डेट फंड, आम तौर पर इक्विटी फंड की तुलना में कम रिटर्न देते हैं, लेकिन अधिक अनुमानित और स्थिर रिटर्न देते हैं, जिससे वे बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति कम सेंसिटिव होते हैं।
रिस्क के आधार पर
इक्विटी फंड मार्केट परफॉर्मेंस से सीधे जुड़े होने के कारण ओनरशिप रूप से रिस्क भरे होते हैं। बाजार में होने वाले बदलावों के जवाब में निवेश का मूल्य नोटेबल रूप से बढ़ या घट सकता है।
दूसरी ओर, डेट फंड में रिस्क कम होता है क्योंकि वे निश्चित आय वाली Securities में निवेश करते हैं, जो आम तौर पर अधिक अनुमानित रिटर्न प्रदान करते हैं।
एक्सपेंस रेशों के आधार पर
इक्विटी फंड के मैनेजमेंट में अक्सर फंड मैनेजरों द्वारा एक्टिव पोर्टफोलियो एडजस्टमेंट शामिल होता है, जिससे एक्सपेंस रेशों अधिक होता है। ये रेशों फंड संचालन, मैनेजमेंट और लेनदेन से जुड़ी फीस को शामिल करते हैं।
इसके विपरीत, डेट फंड में आमतौर पर कम एक्सपेंस रेशों होता है क्योंकि वे कम इंटेंस मैनेजमेंट की मांग करते हैं।
टैक्स इंप्लीकेशन के आधार पर
इक्विटी और डेट फंड का टैक्स ट्रीटमेंट होल्डिंग अवधि और लाभ की प्रकृति (शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म) के आधार पर भिन्न होता है। एक वर्ष से अधिक समय तक रखे गए इक्विटी फंड कम लॉन्ग टर्म कैपिटल प्रॉफिट कर दरों के लिए योग्य हैं, जबकि शॉर्ट टर्म लाभ पर ज्यादा दर से कर लगाया जाता है।
36 महीने से अधिक समय तक रखे गए डेट फंड इंडेक्सेशन लाभों के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल प्रॉफिट कर के अधीन हैं, जबकि शॉर्ट टर्म लाभ पर निवेशक के आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
इन्वेस्टमेंट टाइमिंग के आधार पर
इक्विटी फंड आमतौर पर लॉन्ग टर्म निवेश परिप्रेक्ष्य वाले निवेशकों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं, क्योंकि वे समय के साथ संभावित कैपिटल ग्रोथ की अनुमति देते हैं।
कम रिस्क और स्थिर रिटर्न के साथ, डेट फंड कम निवेश अवधि या रेगुलर इनकम चाहने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
टैक्स बेनिफिट्स के आधार पर
कुछ इक्विटी म्यूचुअल फंड, जैसे कि Elss (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) फंड, आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत टैक्स बेनिफिट्स प्रदान करते हैं, जिससे निवेशकों को अपनी कर योग्य आय से ₹1.5 लाख तक के निवेश में कटौती करने की अनुमति मिलती है। डेट फंड आमतौर पर ऐसे टैक्स बेनिफिट्स प्रदान नहीं करते हैं।
निष्कर्ष रूप में, इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड के बीच का चुनाव पर्सनल फाइनेंशियल गोल, रिस्क उठाने की कैपिसिटी और निवेश समयसीमा पर निर्भर करता है। इक्विटी फंड उन लोगों के लिए उपयुक्त हैं जो ज्यादा विकास कैपिसिटी चाहते हैं और ज्यादा रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं, जबकि डेट फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो कैपिटल प्रिजर्वेशन और रेगुलर इनकम को प्राथमिकता देते हैं।