शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते हैं? 1.प्राथमिक मार्केट, 2. सेकेंडरी मार्केट – Share market Types in hindi 

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शेयर मार्केट मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं 1.प्राथमिक मार्केट, 2. सेकेंडरी मार्केट(द्वितीय बाजार),प्राथमिक बाजार: यह वह जगह है जहां कंपनियां पहली बार जनता के लिए इनिशियल पब्लिक आफरिंग (ipo) के माध्यम से नई प्रतिभूतियां (securities) जारी करती हैं और बेचती हैं।  2. द्वितीयक बाजार: यह वह प्लेटफॉर्म है जहाँ निवेशक आपस में पहले से ही मौजूद सिक्योरिटीज का व्यापार करते हैं। इसमें मूल रूप से प्रतिभूतियां (securities) जारी करने वाली कंपनियाँ इन लेन-देन में सीधे तौर पर शामिल नहीं होती हैं।

शेयर बाजार का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है शेयर बाजारों की अवधारणा लगभग 400 साल पहले डच ईस्ट इंडिया कंपनी जैसी कंपनियों के साथ उभरी, जिन्हें अपने बिजनेस को फैलाने के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता थी। उन्होंने लोगों को वापस लाए गए खजाने के हिस्से के बदले में अपने जहाजों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। यह प्रथा आधुनिक शेयर बाजार में विकसित हुई।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते हैं,Share market types in Hindi, इनके क्या-क्या फीचर्स होते हैं चलिए विस्तार से जानते हैं 

Share market Types in hindi 

विषय सूची

शेयर मार्केट क्या है ? शेयर मार्केट के प्रकार 

शेयर बाजार(Share market), जिसे स्टॉक मार्केट या इक्विटी मार्केट के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहाँ आप किसी कंपनी के शेयर(Share) खरीद या बेच सकते हैं। शेयर खरीदने का मतलब है उस कंपनी में स्वामित्व का एक प्रतिशत खरीदना, जिससे आप शेयरधारक बन जाते हैं। एक शेयरधारक के रूप में, आप कंपनी के मुनाफे और परिसंपत्तियों के एक प्रतिशत के हकदार हैं, लेकिन आप घाटे का एक प्रतिशत भी आपके हिस्से आता है।

शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते हैं – Share market Types in hindi 

शेयर बाजार के दो मुख्य प्रकार हैं:

1.प्राथमिक मार्केट, 2. सेकेंडरी मार्केट(द्वितीय बाजार) 

प्रायमरी मार्केट – Primary market meaning in Hindi

प्रायमरी मार्केट वह जगह है जहाँ कंपनियाँ पहली बार अपने स्टॉक या बॉन्ड(bond) जारी करती हैं और जनता को बेचती हैं। इन प्रतिभूतियां (securities) का पहले कभी कारोबार नहीं हुआ है। 

प्रायमरी मार्केट में, कंपनियाँ अपने नए शेयर पहली बार एक प्रक्रिया के माध्यम से सीधे जनता को बेचती हैं जिसे Initial public offering (IPO) कहा जाता है। इस तरह से कंपनियाँ अपने संचालन और विकास के लिए पूंजी जुटाती हैं। प्रायमरी मार्केट में शेयरों की कीमत कंपनी के मैनेजमेंट द्वारा, कुछ नियामक दिशानिर्देशों के भीतर निर्धारित की जाती है।

प्रायमरी मार्केट की विशेषता 

नई प्रतिभूतियां (securities) (securities):

 प्रायमरी मार्केट उन नई प्रतिभूतियां (securities) से संबंधित है जो कंपनियों द्वारा हाल ही में जारी की गई हैं। इन प्रतिभूतियां (securities) का पहले कभी कारोबार नहीं किया गया है।

कैपिटल निर्माण:

 प्रायमरी मार्केट डायरेक्ट कैपिटल निर्माण में योगदान देता है, क्योंकि यह कंपनियों को निवेशकों से धन जुटाने की अनुमति देता है। इस धन का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों, जैसे विस्तार, अनुसंधान और विकास, या ऋण चुकौती के लिए किया जा सकता है।

कंपनियों के द्वारा जारी किया जाना 

प्रायमरी मार्केट में, प्रतिभूतियां (securities) (securities) कंपनियों द्वारा सीधे निवेशकों को जारी की जाती हैं। इसका मतलब है कि कंपनी विक्रेता है और निवेशक खरीदार हैं।

मूल्य निर्धारण करना 

प्रायमरी मार्केट में प्रतिभूतियां (securities) की कीमत आमतौर पर कंपनी के मैनेजमेंट द्वारा निर्धारित की जाती है। यह सेकेंडरी मार्केट के विपरीत है, जहाँ कीमतें डिमांड और सप्लाई द्वारा निर्धारित की जाती हैं।

कोई निश्चित फिजिकल स्थान नहीं: 

प्रायमरी मार्केट का कोई निश्चित भौगोलिक स्थान नहीं है। यह ऑनलाइन या विभिन्न वित्तीय संस्थानों के माध्यम से हो सकता है।

सभी कंपनियाँ भाग ले सकती हैं:

 प्रायमरी मार्केट सभी कंपनियों के लिए खुला है, चाहे उनका आकार या उद्योग कुछ भी हो। हालाँकि, कंपनियों को प्रायमरी मार्केट में प्रतिभूतियां (securities) (securities) जारी करने के लिए कुछ नियामक आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।

सेकेंडरी मार्केट – Secondary market meaning in Hindi

सेकेंडरी मार्केट वह जगह है जहाँ लोग आपस में शेयर खरीदते और बेचते हैं और शेयरों में व्यापार करते हैं। प्रायमरी मार्केट में, कंपनियाँ अपने शेयरों की कीमतें निर्धारित करती हैं। कंपनियाँ सेकेंडरी मार्केट में अपने शेयरों की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकती हैं। 

शेयरों की डिमांड और सप्लाई के आधार पर शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। लगभग हर बड़े देश का अपना स्टॉक एक्सचेंज है। भारत में दो लोकप्रिय स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज।

सेकेंडरी मार्केट की विशेषताएं – Secondary market features in Hindi

यहाँ सेकेंडरी मार्केट का विवरण दिया गया है:

मौजूदा प्रतिभूतियां (securities) का व्यापार:

 निवेशक पहले से जारी की गई प्रतिभूतियां (securities) को खरीदते और बेचते हैं।

तरलता प्रदान करना

 निवेशक आसानी से प्रतिभूतियां (securities) को खरीद या बेच सकते हैं, जिससे उन्हें जब भी ज़रूरत हो अपने निवेश को नकदी में बदलने की अनुमति मिलती है।

डिमांड और सप्लाई द्वारा मूल्य निर्धारण:

 प्रतिभूतियां (securities) की कीमतें डिमांड और सप्लाई के आधार पर उतार-चढ़ाव करती हैं। विक्रेताओं की तुलना में अधिक खरीदार आम तौर पर कीमत बढ़ाते हैं, और इसके विपरीत।

स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा सुविधा: 

सेकेंडरी मार्केट स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा संचालित किए जाते हैं जैसे भारत में मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे संगठित एक्सचेंजों के माध्यम से संचालित होता है, जो व्यापार के लिए एक मंच प्रदान करता है।

परोक्ष रूप से पूंजी निर्माण में योगदान देता है: 

जबकि डायरेक्ट कैपिटल निर्माण में शामिल नहीं है, यह निवेशकों को प्रायमरी मार्केट में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, तरलता और एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करके इसका समर्थन करता है।

केवल लिस्टेड कंपनियाँ भाग लेती हैं: 

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनियों की प्रतिभूतियां (securities) का ही व्यापार किया जा सकता है, यह सुनिश्चित करता है कि निवेशकों को उन कंपनियों के बारे में जानकारी तक पहुँच हो, जिनमें वे निवेश करते हैं।

सेकेंडरी मार्केट के हिस्से 

स्टॉक एक्सचेंज: 

देशों ने स्टॉक एक्सचेंज स्थापित किए हैं, जैसे कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE) और भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE), जहाँ शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं।

सूचकांक(index) 

सेंसेक्स(SENSEX) और निफ्टी(Nifty) जैसे सूचकांक शीर्ष कंपनियों के शेयर की कीमतों के औसत रुझान को मापकर शेयर बाजार के समग्र प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं।

शेयर बाज़ार में निवेश: 

शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए, व्यक्तियों को बैंक खाते, ट्रेडिंग खाते(Trading account) और डीमैट खाते(Demat account) की आवश्यकता होती है। खुदरा निवेशक आमतौर पर अपने लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए दलालों को नियुक्त करते हैं। 

 

शेयर बाजार कितने प्रकार के होते हैं?

शेयर मार्केट मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं 1.प्राथमिक मार्केट, 2. सेकेंडरी मार्केट(द्वितीय बाजार)

शेयर बाजार में ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है?

Scalping Trading – स्काल्पिंग ट्रेडिंग 
Spread Trading
Intraday(day trading)
Arbitrage Trading
Btst (Buy Today Sell Tomorrow) Trading
Momentum Trading

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